भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने रिहा होने पर कहा कि वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वो दोबारा बल्लेबाजी करने का अवसर ना दे. उन्होंने यह भी कहा कि जेल जाने का उनका पहला अनुभव अच्छा रहा.
इंदौर: इंदौर नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बल्ले से पीटने के बहुचर्चित मामले और एक अन्य प्रकरण में जमानत मिलने पर रविवार सुबह जिला कारागार से छूटने के बाद स्थानीय भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि जेल जाने का उनका पहला अनुभव अच्छा रहा.
विजयवर्गीय ने जेल से छूटने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अपने जीवन में पहली बार जेल गया था. लेकिन जेल में रहने का अनुभव अच्छा रहा. जेल के अंदर मेरा समय बहुत अच्छा बीता. हालांकि, जेल से बाहर आकर मुझे खुशी है क्योंकि मुझे जनता के लिए अपने अधूरे काम को आगे बढ़ाना है.’
Madhya Pradesh: Celebratory firing outside BJP MLA Akash Vijayvargiya's office in Indore after he got bail in an assault case. (29-06) pic.twitter.com/d1j2d03hLY
— ANI (@ANI) June 30, 2019
विजयवर्गीय के रिहा होने पर उनके प्रशंसकों ने ऑफिस के बाहर खुशी में फायरिंग की. एएनआई द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में दिख रहा है कि ढोल नगाड़ों के बीच एक शख्य ने पांच राउंड फायरिंग की.
आकाश (34) भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं. शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान बुधवार को बड़े विवाद के बाद भाजपा विधायक ने नगर निगम के एक भवन निरीक्षक को क्रिकेट के बल्ले से पीट दिया था.
अधिकारियों ने बताया कि इस विवादग्रस्त मकान को नगर निगम जल्द ही ढहाने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि बारिश के मौसम में यह बरसों पुरानी इमारत जान-माल के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा विधायक ने कहा, ‘मुझे इस सिलसिले में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है. मैं इस बारे में पता लगाता हूं. हालांकि, मैं आगे भी जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करता रहूंगा.’
Akash Vijayvargiya, BJP MLA: In such a situation when a woman was being dragged in front of police, I couldn't think of doing anything else, not embarrassed at what I did. But I pray to god 'ki vo dobara ballebazi karne ka avsar na de.' #MadhyaPradesh pic.twitter.com/n9OJSfvgMR
— ANI (@ANI) June 30, 2019
आकाश ने कहा कि उन्होंने जो कुछ किया है उसके लिए वे शर्मिंदा नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने जो कुछ किया, उसके लिए न तो मैं दोषी हूं और न ही शर्मिंदा हूं क्योंकि जो कुछ मैंने किया वो जनहित में था. ऐसी स्थिति में जब एक महिला को घसीटा जा रहा हो, मैं कुछ और करने के बारे में सोच नहीं सकता था.’
आकाश ने कहा कि वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वो दोबारा बल्लेबाजी करने का अवसर ना दे.
Madhya Pradesh: Sweets distributed to Police personnel outside BJP MLA Akash Vijaywargiya's residence in Indore. Vijayvargiya was released from jail earlier today after being granted bail in an assault case. pic.twitter.com/e4uBUA8ra0
— ANI (@ANI) June 30, 2019
वहीं, रिहा होने के बाद इंदौर में आकाश विजयवर्गीय के आवास के बाहर पुलिसकर्मियों को मिठाई बांटी गई.
भोपाल की एक विशेष अदालत ने बल्ला कांड और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला फूंकने के अलग-अलग मामलों में विजयवर्गीय की जमानत अर्जी शनिवार शाम मंजूर की थी.
जिला जेल की अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया, ‘हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश शनिवार रात 11 बजे के आस-पास मिला. तय औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें रविवार सुबह जेल से छोड़ दिया गया.’
उन्होंने बताया, ‘शनिवार को लॉक-अप के शाम सात बजे के नियत समय तक हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश नहीं मिला था. लिहाजा जेल नियमावली के मुताबिक हम उन्हें शनिवार रात रिहा नहीं कर सकते थे.’
जेल शब्दावली के मुताबिक नियमित गिनती के बाद कैदियों को कारागार के भीतरी परिसर से दोबारा कोठरी में भेजकर बंद किए जाने को ‘लॉक-अप’ करना कहा जाता है.
चतुर्वेदी ने बताया कि विजयवर्गीय बल्ला कांड में गिरफ्तारी के बाद एक स्थानीय अदालत के आदेश पर जिला जेल में न्यायिक हिरासत के तहत बुधवार देर शाम से बंद थे.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जेल में बंद रहने के दौरान भाजपा विधायक को मुख्यमंत्री का पुतला जलाने के पुराने मामले में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया था.
अघोषित बिजली कटौती को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला फूंका था, लेकिन इस प्रदर्शन के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी.
इस पर विजयवर्गीय और भाजपा के अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)