गृह मंत्रालय का कहना है कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित रखने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हत्याएं, लूट और उगाही जारी है. ऐसे हालात में वहां तैनात सुरक्षा बलों की सुविधा के लिए आफस्पा की अवधि बढ़ाना ज़रूरी था.
नई दिल्ली: पूरे नगालैंड राज्य में विवादास्पद कानून आफ्सपा की अवधि बढ़ाते हुए और छह महीने, दिसंबर 2019 तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया है.
आफस्पा सुरक्षा बलों को राज्य की सीमा के अंदर कहीं भी अभियान संचालित करने और बिना किसी पूर्व सूचना के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. नगालैंड में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून (आफस्पा) कई दशकों से लागू है.
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार का विचार है कि क्षेत्र जिसमें पूरा नगालैंड आता है, वह एक ऐसी ‘अशांत और खतरनाक स्थिति’ में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता में सशस्त्र बल का इस्तेमाल जरूरी है.
रविवार को जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘अब, इसलिए सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (1958 के नंबर 28) की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार घोषणा करती है कि उक्त पूरा राज्य उक्त अधिनियम के लिए 30 जून, 2019 से छह महीने की अवधि के लिए एक ‘अशांत क्षेत्र’ होगा.’
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित रखने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि हत्याएं, लूट और उगाही राज्य के विभिन्न हिस्सों में जारी है. इसने वहां तैनात सुरक्षा बलों की सुविधा के लिए इस कदम को जरूरी बना दिया है.
पूर्वोत्तर के साथ ही जम्मू कश्मीर से विभिन्न संगठनों की ओर से लंबे समय से विवादास्पद आफ्सपा को निरस्त करने की मांग होती रही है. उनका कहना है कि यह सुरक्षा बलों को ‘व्यापक अधिकार’ देता है. उनका दावा है कि इस कानून की वजह से सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)