बीबीसी से एक साक्षात्कार में महिला उत्तराधिकारी के सवाल पर दलाई लामा ने कहा था कि अगर मेरे बाद कोई महिला दलाई लामा बनती है तो उस महिला को आकर्षक होना चाहिए.
धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश): दलाई लामा ने बीबीसी पर हाल ही में दिए गए साक्षात्कार के दौरान महिलाओं पर की गई अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली.
उनके कार्यालय ने कहा कि तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने हमेशा महिलाओं को एक उत्पाद की तरह पेश किए जाने का विरोध किया है.
साक्षात्कार के दौरान उनसे पूछा गया था कि उनका उत्तराधिकारी एक महिला हो सकती है तो इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा था कि उसे आकर्षक होना चाहिए.
दलाई लामा के कार्यालय ने यहां एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि आध्यात्मिक नेता का मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं था. और उन्हें बेहद दुख है कि उनकी बात से लोगों को दुख पहुंचा है. उन्होंने माफी की पेशकश की है.
Clarification and Context of Remarks Made by His Holiness the Dalai Lama in a Recent BBC Interview https://t.co/wxCKZ8GTSe pic.twitter.com/S51tkATwu1
— Dalai Lama (@DalaiLama) July 2, 2019
बता दें कि, बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में अपने 2015 के विवादित बयान को दोहराते हुए दलाई लामा ने कहा था कि अगर मेरे बाद कोई महिला दलाई लामा बनती है तो उस महिला को आकर्षक होना चाहिए.
महिला दलाई लामा के आकर्षक होने वाले बयान पर खुद को कायम बताते हुए दलाई लामा ने कहा था कि जितना दिमाग का महत्व है उतना ही महत्व खूबसूरती का भी है. उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘अगर महिला दलाई लामा बनती है तो उसे कहीं ज्यादा आकर्षक होना चाहिए.’
उन्होंने ऐसा क्यों कहा? इस पर दलाई लामा ने कहा था, ‘वो इसलिए क्योंकि अगर कोई महिला लामा आती हैं और वो खुश दिखती हैं तो लोग भी उन्हें देखकर खुश होंगे और अगर कोई महिला लामा दुखी दिखती हैं तो लोग उन्हें देखना पसंद नहीं करेंगे.’
इस सवाल पर कि क्या उन्हें नहीं लगता कि कई महिलाओं को ऐसा लगेगा कि दलाई लामा उनका अपमान कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा था, ‘असली खूबसूरती मन की खूबसूरती है, ये सच है, लेकिन मैं समझता हूँ कि आकर्षक दिखना भी जरूरी है.’
वहीं इसी साक्षात्कार में यूरोप में शरणार्थी संकट के सवाल पर दिए गए जवाब को लेकर उनके कार्यालय ने कहा कि हो सकता है उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया हो.
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता खुद निर्वासित हैं. उन्होंने कहा था कि यरोप को एक निश्चित सीमा तक ही शरणार्थियों को लेना चाहिए और उनका लक्ष्य होना चाहिए कि वह उन्हें उनके देश भेजें.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन क्या पूरा यूरोप मुस्लिम देश बन जाएगा? असंभव. या फिर अफ्रीकी देश बन जाएगा. यह भी असंभव. यूरोप को यूरोपीय लोगों के लिए ही रखें.’
बयान में कहा गया कि अनौपचारिक रूप से दिए गए बयान में कभी-कभी ऐसा होता है. हो सकता है कि किसी एक सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में यह अच्छा हो लेकिन जब यह किसी और अन्य में लाया जाता है तो अनुवाद में उसका हास्य खो जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)