राज्य सरकार के अवैध कोयला खनन को रोकने में नाकाम रहने पर एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर यह जुर्माना लगाया था.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मेघालय सरकार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए 100 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया है.
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ मिलकर अवैध कोयला खनन को रोकने में नाकाम रहने पर यह जुर्माना लगाया है.
जस्टिस अशोक भूषण और केएम जोसेफ कीयले पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अवैध तरीके से निकाले गए को को कोल इंडिया लि. (सीआईएल) को सौंप दे, जिसकी बाद में नीलामी की जाएगी और इस धनराशि को राज्य सरकार के पास जमा किया जाएगा.
पीठ ने राज्य में निजी एवं सामुदायिक जमीनों में खनन की भी अनुमति दी है, लेकिन ऐसा संबंधित प्राधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा.
एनजीटी ने मेघालय सरकार पर चार जनवरी को जुर्माना लगाया था. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने माना था कि उनके राज्य में बड़ी संख्या में अवैध तरीके से कोयला खनन हो रहा है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस बीपी काकोटी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि मेघालय में लगभग 24,000 खदानें हैं और इनमें से अधिकतर अवैध रूप से संचालित हो रही हैं.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन खदानों के पास न तो लाइसेंस या पट्टा है और न ही इनमें से अधिकतर कोयला खदानों के संचालन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी ली गई है.
एनजीटी ने पर्यावरणीय रेस्टोरेशन योजना और मेघालय से संबंधित अन्य मामलों की जांच और निरीक्षण के लिए अगस्त 2018 में एक समिति का गठन किया था.
याचिका की सुनवाई के दौरान ही समिति का गठन किया गया था, जिसमें मेघालय में कोयला खनन में प्रतिबंध की मांग की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कुछ रिपोर्टों का भी जायजा लिया गया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले के सान इलाके की अवैध कोयल खदान में 15 खनिक फंस गए थे. खदान में पास की नदी का पानी घुस गया था. खदान से सिर्फ दो शव ही बरामद हो पाए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)