आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19: जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान, 5.8 फीसदी रहा राजकोषीय घाटा

पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी पर थी. आर्थिक सर्वेक्षण में 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुने से अधिक कर 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने की विस्तृत रूपरेखा पेश की गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी पर थी. आर्थिक सर्वेक्षण में 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुने से अधिक कर 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने की विस्तृत रूपरेखा पेश की गई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का आईना तथा चुनौतियों को रेखांकित करने वाली आर्थिक समीक्षा गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई.

समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने तैयार की है और इसमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते में देश के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किया गया है.

आर्थिक समीझा के मुताबिक इस साल (2019-20) जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत पर थी. वहीं, आर्थिक समीक्षा में 2018-19 में राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. इसका संशोधित बजट अनुमान 3.4 प्रतिशत का था.

वित्त वर्ष 2018 में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी था.

इसमें 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुने से अधिक कर 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सुधारों की विस्तृत रूपरेखा पेश की गई है.

समीक्षा बजट से एक दिन पहले आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश करेंगी.

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरी और नई सरकार की पहली आर्थिक समीक्षा के संसद के पटल पर रखे जाने के लेकर उत्साहित हूं.’

वर्ष 2018- 19 की आर्थिक समीक्षा ऐसे समय पेश की गई है जब अर्थव्यवस्था विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना कर रही है. पिछले वित्त वर्ष में जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)