मार्च 2003 में गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार के गृह मंत्री हरेन पांड्या की अहमदाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. निचली अदालत ने सभी आरोपियों को पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा सुनाई थी, जिसे पलटते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या मामले में शुक्रवार को 12 आरोपियों को दोषी ठहराया.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई और गुजरात सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया.
गुजरात हाईकोर्ट ने इस हत्याकांड में सभी दोषियों को हत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया था.
2003 Gujarat Home Minister Haren Pandya murder case: Supreme Court upholds conviction of the seven accused. pic.twitter.com/qfGtYgu1WU
— ANI (@ANI) July 5, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस हत्याकांड की अदालत की निगरानी में नए सिरे से जांच कराने के लिए एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की याचिका खारिज करते हुए उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पीठ ने कहा कि इस मामले में अब किसी और याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा.
गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते इस हत्याकांड में 12 लोगों को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था, जबकि निचली अदालत ने इन दोषियों को पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा सुनाई थी.
गुजरात में मोदी सरकार में गृह मंत्री हरेन पांड्या की 26 मार्च 2003 को अहमदाबाद में लॉ गार्डन के पास सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
सीबीआई के अनुसार, राज्य में 2002 के सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए उनकी हत्या की गई थी.
इस हत्याकांड की सुनवाई करने वाली विशेष पोटा अदालत ने मुख्य आरोपी असगर अली की गवाही के आधार पर आरोपियों को बड़ी साजिश के अपराध में दोषी ठहरायाा था. असगर अली ने गुजरात दंगों का प्रतिशोध लेने के लिये विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख नेताओं और दूसरे हिन्दू नेताओं पर हमले करने की योजना बनायी गयी थी.
अदालत ने अली के साथ ही मोहम्मद रऊफ, मोहम्मद परवेज अब्दुल कयूम शेख, परवेज खान पठान उर्फ अतहर परवेज, मोहम्मद फारूक उर्फ शाहनवाज गांधी, कलीम अहमद उर्फ कलीमुल्ला, रेहान पूठावाला, मोहम्मद रियाज सरेसवाला, अनीज माचिसवाला, मोहम्मद यूनुस सरेसवाला और मोहम्मद सैफुद्दीन को दोषी ठहराया था.
सीबीआई के अनुसार, पांड्या की हत्या करने से पहले दोषियों ने 11 मार्च, 2003 को विहिप के स्थानीय नेता जगदीश तिवारी की हत्या का प्रयास किया था. जांच ब्यूरो ने दावा किया था कि दोनों घटनाएं गोधरा दंगों के बाद जनता में आतंक पैदा करने के लिये एक ही साजिश का नतीजा थी.
जांच ब्यूरो ने दावा किया था कि अपराधियों को फरार आरोपी रसूल पर्ती और मुफ्ती सूफियान पतंगिया ने गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान भेजा और वहां पड़ोसी देश की खुफिया एजेन्सी आईएसआई के इशारे पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया था.
इस मामले की पहले गुजरात पुलिस जांच कर रही थी लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)