युवक को जीप से बांधने वाले मेजर को क्लीन चिट की ख़बर का रक्षा मंत्रालय ने किया खंडन

पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.

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पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.

Farook Ahmad Dar

कश्मीर में सेना की जीप के बोनट से एक शख़्स को बांधकर घुमाने वाले मेजर को क्लीन चिट मिल गई है. उनके ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. सोमवार को मीडिया में ऐसी ख़बरें आने लगी थीं. हालांकि इन ख़बरों का रक्षा मंत्रालय ने खंडन किया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मीडिया में आई इन ख़बरों का रक्षा मंत्रालय ने खंडन किया है. मंत्रालय का कहना है कि मामले में अभी जांच चल रही है.

श्रीनगर में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया के अनुसार, इस विवादास्पद मामले में कोर्ट आॅफ इंक्वायरी अभी भी जारी है. मेजर को इस मामले में क्लीन चिट नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि इस मामले में चल रही जांच अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है.

सोमवार को मेल टुडे ने सेना के सूत्रों के हवाले से ख़बर प्रकाशित की थी कि युवक को जीप पर बांधने वाले मेजर को क्लीन चिट दे गई है. इस ख़बर में दावा किया गया है कि सेना का मानना है कि मेजर ने ऐसा करके जानें बचाईं इसलिए उन पर कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता.

बीते 14 अप्रैल को सोशल मीडिया पर घटना से संबंधित वीडियो वायरल होने के बाद सेना ने मामले में कोर्ट आॅफ इंक्वायरी (सीओआई) के आदेश दिए थे. इस मामले में 53वीं राष्ट्रीय राइफल के इस मेजर के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की गई थी.

कश्मीर में उपचुनाव के दौरान में होने वाली पत्थरबाजी से बचने के लिए सेना ने इस युवक को जीप के बोनट से बांध दिया था. इस युवक की पहचान फ़ारूक़ अहमद डार के रूप में हुई थी.

यह घटना 9 अप्रैल को श्रीनगर-बड़गाम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान हुई थी. बडगाम में पत्थरबाजों से बचने के लिए 53 राष्ट्रीय राइफल्स ने अपनी जीप के आगे फारूक़ को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.

इस संसदीय क्षेत्र में महज़ 7 फीसदी मतदान हुआ, जो अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे कम वोटिंग प्रतिशत है. दिलचस्प बात यह थी कि फ़ारूक़ उन चंद लोगों में से थे जो मतदान करने बाहर निकले थे.

फ़ारूक़ शॉल बुनने का काम करते हैं. उस रोज़ सेना द्वारा जब उन्हें पकड़ा गया, तब वे अपनी बाइक पर गमपोरा में अपने एक रिश्तेदार के यहां शोक सभा में जा रहे रहे थे.

उस दिन उन्हें 5 घंटों तक जीप पर बांधकर 10 से 12 गांवों में घुमाया गया था.

(नोट: इस लेख को 5:30 बजे रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान आने के बाद संपादित किया गया है.)