भारतीय सेना के नए दिशानिर्देशों में सेना से जुड़े लोगों के परिजनों को सोशल मीडिया पर सेवारत अधिकारियों के बारे में कोई भी जानकारी साझा न करने को कहा गया है. साथ ही सैन्य अधिकारियों को सोशल मीडिया पर सीमित पोस्ट ही करने की हिदायत दी गई है.
नई दिल्लीः भारतीय सेना ने एक दिशानिर्देश जारी कर अपने सभी जवानों और अधिकारियों को किसी भी सोशल मीडिया समूह से न जुड़ने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन सोशल मीडिया समूह से दूर रहने को कहा है जिनके सदस्यों की पहचान सत्यापित न हो.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पिछले महीने एक दिशानिर्देश जारी किया था, जिसमें सभी जवानों और अधिकारियों से उन वॉट्सऐप और सोशल मीडिया समूहों से न जुड़ने को कहा गया कि जो सत्यापित नहीं हो और जिनमें सेना को कोई सेवारत अधिकारी नहीं हो.
इस नई नीति के तहत सेना से जुड़े सदस्यों के परिवार वालों को भी सोशल मीडिया पर सेवारत अधिकारियों के बारे में कोई भी जानकारी साझा न करने को कहा गया है. साथ ही सैन्य अधिकारियों को सोशल मीडिया पर सीमित पोस्ट ही करने की हिदायत दी है, जिसमें सामान्य पूछताछ और सहायता संबंधी सवाल ही हो.
इसके अलावा लोकेशन से जुड़े सवालों के लिए अधिकारियों को सैन्य दूरसंचार सेवाओं का इस्तेमाल करने को कहा गया है.
द हिन्दू से बात करते हुए एक स्रोत ने बताया, ‘मोटे तौर पर यह निर्देश था कि वॉट्सऐप के ओपन-एंड ग्रुप का हिस्सा न बनें, केवल उन ग्रुप्स में रहें जहां उसमें शामिल लोगों की पहचान जाहिर हो.’
भारतीय सेना ने यह कदम उन खुफिया रिपोर्टों के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि विदेशी खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भारतीय सेना की जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास कर रही है.
गौरतलब है कि जून में यूपी पुलिस ने कथित तौर पर बॉट के जरिए 100 से अधिक सैन्य अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम हैक करने के पाकिस्तान के जासूसी एजेंटों के प्रयास का खुलासा किया था.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ‘यह सेना के दिशानिर्देशों के अनुरूप एक एहतियाती कदम है, जो सेना समय-समय पर जारी करती है. यह नए समय की सुरक्षा की जरूरत है, जिसे सेंसरशिप कहना सही नहीं होगा.’
वहीं एक अन्य अधिकारी ने इस कदम का उद्देश्य आलोचनाओं को रोकना बताया है. इस अख़बार से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यहां स्पष्ट असंतोष है, जिसके बारे में सत्ता को लगता है कि इसे पूर्व कर्मचारियों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है. ऐसे ग्रुप में रिटायर्ड अधिकारी अक्सर ज्यादा मुखर रहते हैं लेकिन फिर भी यह सच है कि हम हमेशा से एक परिवार की तरह रहे हैं.