बिहार में बाढ़ से करीब 32 लोगों की मौत, 18 लाख लोग प्रभावित

बिहार की पांच नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और 10 ज़िलों में स्थिति गंभीर है. सबसे ज़्यादा सीतामढ़ी ज़िला प्रभावित हुआ है. यहां करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. पड़ोसी देश नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन में 60 लोगों की मौत.

बिहार में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. (फोटो साभार: ट्विटर/@airnewsalerts)

बिहार की पांच नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और 10 ज़िलों में स्थिति गंभीर है. सबसे ज़्यादा सीतामढ़ी ज़िला प्रभावित हुआ है. यहां करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. पड़ोसी देश नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन में 60 लोगों की मौत.

बिहार में बागमती, गंडक, महानंदा, कमला बालान और लालबकिया नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. (फोटो साभार: ट्विटर/@airnewsalerts)
बिहार में बागमती, गंडक, महानंदा, कमला बालान और लालबकिया नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. (फोटो साभार: ट्विटर/@airnewsalerts)

पटनाः बिहार के दस जिलों में बाढ़ से स्थिति गंभीर बनी हुई है. बाढ़ से 32 लोगों की मौत हुई है जबकि 55 ब्लॉकों के 18 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.

आकाशवाणी की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय जल आयोग ने कहा है कि भारी वर्षा के कारण बागमती, गंडक, महानंदा, कमला बालान और लालबकिया नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाढ़ से सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी और पूर्वी चंपारण जिले में भारी तबाही हुई है.

उत्तरी बिहार में नदियों में उफान के कारण कई तटबंधों में दरारें आ गई हैं. बाढ़ से 55 ब्‍लॉकों में 18 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. चालीस हजार से अधिक लोगों को राहत शिविरों में शरण दी गई है.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक किचन और आश्रय स्थल बनाए गए हैं. बड़ी संख्या में बाढ़ से विस्थापित लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सशस्त्र बल की टीमों ने बाढ़ से घिरे लोगों को सुरक्षित निकालने का अभियान तेज कर दिया है.

प्रशासन ने 45,053 लोगों को शरण देने के लिए 152 राहत शिविर खोले हैं जबकि 251 सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है.

राज्य के नौ जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर के 55 प्रखंडों में बाढ़ से कुल 17,96,535 आबादी प्रभावित हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा सीतामढ़ी जिला प्रभावित हुआ है. यहां करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. सीतामढ़ी में सभी स्कूल और शिक्षण संस्थाएं 20 जुलाई तक बंद कर दी गई हैं. इसके बाद अररिया में पांच लाख लोग बाढ़ का सामना कर रहे हैं.

प्रभावित जिलों में राहत और बचाव अभियान चलाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 13 दल तैनात किए गए हैं. प्रशासन ने 45,053 लोगों को शरण देने के लिए 152 राहत शिविर खोले हैं जबकि 251 सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है.

मुख्यमंत्री ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक की. इसके बाद उन्होंने दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया.

बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राहत शिविरों में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए समुचित व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए.

राज्य में लगातार बारिश से पांच नदियां बागमती, कमला बलान, लालबकया, अधवारा और महानंदा कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.

पटना के मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले चार दिनों में कई जगहों पर बारिश का अनुमान जताया है.

प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल से लगे कोसी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार व पूर्णिया के 123 नए इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है.

अररिया प्रखंड की 18 नई पंचायतों के साथ ही अररिया शहर के दक्षिणी व उत्तर-पूर्वी भागों में पनार नदी का पानी प्रवेश कर गया है. इस कारण वहां भारी तबाही मची हुई है.

इधर, जोकीहाट के दक्षिणी हिस्सों बैदना, पछियारी पिपरा, चौकता, आमगाछी, केलाबाड़ी, टेकनी, घुमना आदि नए इलाकों में पानी फैल रहा है.

फारबिसगंज अनुमंडल के दक्षिणी हिस्सों में पानी तेजी से फैल रहा है. कुर्साकांटा प्रखंड में ऊंचे स्थानों से पानी घटा जरूर है लेकिन निचले हिस्सों में पानी तेजी से फैल रहा है.

पूर्वी व पश्चिमी कोसी तटबंध के बीच अवस्थित सहरसा जिले की पंचायतों के दर्जनों गांव मे बाढ़ का पानी घिर चुका है.

राज्य में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा बैठक करने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा, मधुबनी, श्योहर, सीतामढ़ी और मोतीहारी के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया. इधर, बाढ़ को लेकर पटना स्थित बिहार विधानसभा के बाहर सोमवार को विपक्ष के नेताओं ने प्रदर्शन किया.

नेपाल में बारिश के बाद बाढ़,भूस्खलन में 60 लोगों की मौत

काठमांडू: नेपाल में लगातार बारिश के चलते आई बाढ़ और भूस्खलन में अब तक 60 लोगों की मौत हो गई और 38 अन्य घायल हो गए हैं. बारिश से जुड़ी घटनाओं में 35 लोग लापता बताए जा रहे हैं. लगातार बारिश के चलते देश के मध्य और पूर्वी हिस्से में आम जनजीवन पटरी से उतर गया है.

गुरुवार से हो रही भारी बारिश से 25 से अधिक जिले और इसमें 10,385 परिवार प्रभावित हुए हैं.

नेपाल थलसेना और पुलिसकर्मियों ने देश में कई स्थानों पर 1,104 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. इनमें से 185 लोगों को काठमांडू में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया.

हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ पूर्वानुमान प्रभाग (एफएफएस) ने कहा है कि मानसून सक्रिय है और देश के अधिकतर जगहों पर अगले दो से तीन दिनों तक बारिश जारी रहेगी.

मौसम पूर्वानुमान विभाग (एमएफडी) ने लोगों को अत्यधिक सतर्क रहने की चेतावनी दी है और कहा है कि वायु एवं सड़क यातायात कम दृश्यता की वजह से प्रभावित हो सकता है. भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ गया है.

एफएफएस ने बताया कि बागमती, कमला, सप्तकोशी और उसकी सहायक नदी सनकोसी उफान पर है और खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

एफएफएस में जलविज्ञानी बिनोद पारजुली के हवाले से खबर में बताया गया है कि इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है.

इस बीच मौसम विशेषज्ञों ने इतने कम समय में हुई भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है.

काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में देश में भारी बारिश हुई, जो वर्षा पद्धति में बदलाव का संकेत है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)