मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 पुरानी है. वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था. वहां क़रीब 15 परिवार रह रहे थे.
मुंबई: दक्षिण मुंबई के डोंगरी में मंगलवार को म्हाडा की चार मंजिला रिहायशी इमारत गिर गई. घनी आबादी वाले इलाके में स्थित इस इमारत के मलबे में दबकर 12 लोगों की मौत हो गई. स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने बताया कि मलबे में अभी तक 40-50 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
राज्य के आवास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि दक्षिण मुंबई के डोंगरी में टंडेल मार्ग पर एक संकरी गली में स्थित ‘कौसरबाग’ बिल्डिंग गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई है. बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि सात लोग घायल भी हुए हैं.
मुंबई के मेयर विश्वनाथ महादेश्वर ने कहा कि उन्होंने नगर आयुक्त को मामले की जांच शुरू करने को कहा है. टीवी पर एक शिशु को मलबे से सुरक्षित बचाते हुए दिखाया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि शिशु जीवित है.
एक अधिकारी ने बताया कि बीएमसी ने इमामबाड़ा नगरपालिका उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में आश्रयस्थल बनाया है.
मौके पर पहुंचे मुम्बादेवी के विधायक अमीन पटेल का कहना है कि बचाव कार्य में मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी मौके पर पहुंच रही हैं. हमारा अंदाजा है कि मलबे में अभी भी 10-12 परिवार फंसे हुए हैं.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 पुरानी है. वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था. उन्होंने बताया कि वहां 10-15 परिवार रह रहे थे.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इमारत महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (म्हाडा) की है. हालांकि म्हाडा की मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसालकर का कहना है कि इमारत संस्था की नहीं थी.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक सूचना के अनुसार इमारत का एक बड़ा हिस्सा सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर गिर गया.
बेहद घनी आबादी और संकरी सड़कों वाले इलाके में स्थित इस इमारत में काफी लोग रह रहे थे. इसके मलबे में 40-50 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और निकाय अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं, लेकिन संकरी गलियों के कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं. बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में जुटे हैं और मलबा हटाने में मदद कर रहे हैं.
एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंच पा रही है, उसे 50 मीटर की दूरी पर खड़ा करना पड़ा. मुंबई के पुलिस आयुक्त संजय बर्वे भी मौके पर पहुंचे हैं.
एक अन्य विधायक भाई जगताप का कहना है कि निवासी लगातार म्हाडा से शिकायत कर रहे थे कि इमारत बहुत पुरानी है और बेहद खस्ता हाल है.
इस इमारत का मालिकाना हक महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के पास है. संस्था के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं.
वहीं म्हाडा का कहना है कि उसने यह इमारत पुन:विकास के लिए एक प्राइवेट बिल्डर को दी थी और वह जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
म्हाडा के अध्यक्ष उदय सामंत का कहना है कि डोंगरी स्थित इमारत उसके अधिकार क्षेत्र में जरूर थी लेकिन इसे पुन:विकास के लिए प्राइवेट बिल्डर को दिया गया था.
उन्होंने कहा, अगर बिल्डर ने पुन:विकास में देरी की है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यदि म्हाडा के अधिकारी इसे लिए जिम्मेदार हैं तो उनके खिलाफ भी कड़ी कर्रवाई होगी.
मुंबई में गिरी इमारत के मालिकाना हक को लेकर भ्रम की स्थिति
मुंबई के डोंगरी में मंगलवार सुबह गिरी ‘कौसरबाग’ इमारत की मिल्कियत को लेकर भ्रम की स्थिति है. माना जाता है कि यह इमारत 100 साल पुरानी है. इमारत के गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई है जबकि कई अन्य मलबे में फंस गए हैं.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के मुताबिक, घनी आबादी वाली टंडेल मार्ग पर स्थित इमारत सुबह 11 बजकर करीब 40 मिनट पर ढह गई. अधिकारियों ने बताया कि मलबे में 40-50 लोगों के दबे होने की आशंका है.
कांग्रेस विधायक भाई जगताप ने आरोप लगाया कि स्थानीय निवासी इमारत के बहुत पुराने होने जाने और उसकी जर्जर अवस्था के मद्देनज़र तेजी से कार्रवाई करने के लिए महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) को शिकायत कर रहे थे जबकि म्हाडा के शीर्ष पदाधिकारी ने कहा कि इमारत प्राधिकरण की नहीं है.
म्हाडा के मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसलकर ने कहा कि इमारत प्राधिकरण की नहीं है जैसा कि कुछ स्थानीय लोगों और जगताप ने कहा है. बहरहाल, म्हाडा के अधिकारी स्थिति का जायज़ा लेने के लिए मौके पर पहुंच गए .
मुंबई इमारत हादसा: संकरी गलियों से बचाव कार्य प्रभावित
दक्षिण मुंबई के डोंगरी क्षेत्र में मंगलवार को एक इमारत ढहने के बाद घटनास्थल के आस-पास तंग गलियां होने के कारण राहतकर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
कई ऊंची इमारतों वाले सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक डोंगरी के कुछ निवासियों ने कहा कि अगर जेसीबी मशीनें दुर्घटनास्थल तक पहुंच पातीं तो ज्यादा लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सकता था.
दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और नगर निकाय के अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन गलियां तंग होने के कारण मलबे में तब्दील क्षेत्र में आवागमन बहुत मुश्किल है. संकरी गलियों के कारण बचावकर्मियों को मलबे से शव और घायलों को निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी.
राहतकर्मियों के काम में स्थानीय लोगों ने भी बहुत मदद की. एंबुलेंस भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकीं और इन्हें करीब 50 मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया.
डोंगरी क्षेत्र के निवासी शाहनवाज कापडे ने कहा कि अगर हादसा स्थल तक जेसीबी मशीनें पहुंच जातीं तो हताहतों की संख्या कम हो सकती थी.
उन्होंने कहा, ‘आप अब समझ सकते हैं कि अगर बारिश हो रही होती तो क्या होता. अच्छी बात यह है कि बारिश नहीं हो रही है वरना इन संकरी गलियों में बचाव अभियान लगभग असंभव होता क्योंकि बचावकर्मी खुलकर चल भी नहीं सकते.’
दक्षिण मुंबई के डोंगरी इलाके में मंगलवार को एक चार मंजिला आवासीय इमारत गिर गई. इस हादसे में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि नौ अन्य घायल हैं. मलबे में कम से कम 40-50 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक सूचना के अनुसार डोंगरी में टंडेल मार्ग पर स्थित भूतल के अतिरिक्त चार मंजिल वाली इस ‘केशरबाई बिल्डिंग’ का एक बड़ा हिस्सा सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर गिर गया.
पुलिस ने बताया कि हादसे में अभी तक पांच लोगों की मौत हुई है और नौ अन्य घायल हुए हैं. बेहद घनी आबादी और संकरी सड़कों वाले इलाके में स्थित इस इमारत में काफी लोग रह रहे थे. इसके मलबे में कम से कम 40-50 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और निकाय अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं लेकिन संकरी सड़कों के कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं. बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में जुटे हैं और मलबा हटाने में मदद कर रहे हैं. एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंच पा रही है, उसे 50 मीटर की दूरी पर खड़ा करना पड़ा.
इस इमारत का मालिकाना हक महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (एमएचएडीए) के पास है. संस्था के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं. बचाव कार्य में मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीमें भी मौके पर पहुंच गई हैं.
म्हाडा के अधिकारियों के अनुसार, गिरने वाली इमारत 1987 से अवैध थी. उसने दावा किया कि गिरने वाली इमारत केसरबाई अपार्टमेंट नहीं है. बीएमसी के नोटिस के बाद केसरबाई अपार्टमेंट को 2018 में खाली करा लिया गया था.
Collapse of a building in Mumbai’s Dongri is anguishing. My condolences to the families of those who lost their lives. I hope the injured recover soon. Maharashtra Government, NDRF and local authorities are working on rescue operations & assisting those in need: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) July 16, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीट कर कहा, ‘हादसे में मरने वाले लोगों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. मैं घायलों के जल्द स्वस्थ्य होने की कामना करता हूं. महाराष्ट्र सरकार, एनडीआरएफ और स्थानी प्रशान राहत एवं बचाव कार्य और जरूरतों की मदद करने में लगे हैं.’
Milind Deora, Congress on #MumbaiBuildingCollapse: This is unfortunately something that happens in Mumbai every year during monsoon. You'll see walls collapse, there are pot holes on roads where people die, young boys fall into manholes. Mumbaikars must ask what the govt is doing pic.twitter.com/a8rYKVlyRD
— ANI (@ANI) July 16, 2019
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा, ‘दुर्भाग्य से यह ऐसा हादसा है जो हर साल मुंबई में मानसून के दौरान होता है. आप दीवारों को ढहते हुए देखते हैं, सड़कों पर गड्ढे हैं जिनमें गिरकर लोग मरते हैं, बच्चे मैनहोल में गिर जाते हैं. मुंबईवालों को सरकार से पूछना चाहिए कि वह क्या कर रही है.’
बता दें कि, इससे पहले पूर्वी मलाड के कुरुर वन क्षेत्र में बने बीएमसी के मलाड हिल जलाशय की बॉउंड्री की दीवार का 2.3 किलोमीटर का हिस्सा 2 जुलाई की रात को ढह गया था, जिसमें इससे सटी पिंपरीपाड़ा और आंबेडकर नगर इलाके की झुग्गियों में 29 लोगों की मौत हो गयी थी और 132 लोग घायल हुए थे.
यह दीवार दो जगहों पर ढह गई थी जिसके चलते आई बाढ़ में पिंपरीपाड़ा और आंबेडकर नगर की 3,000 से ज्यादा झुग्गियां बह गई थीं. इस हादसे में हताहत हुए अधिकांश लोग या तो नाले में मिले थे या फिर झुग्गियों के मलबे में दबे हुए.
बीएमसी का कहना था कि दीवार भूस्खलन के कारण गिरी थी जबकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दीवार पानी के दबाव के चलते गिरी थी, साथ ही उसके निर्माण में भी कमियां बताई गई थीं.
वहीं, एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने रिपोर्ट देते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकार ने 1997 में दिए हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया गया होता तो इस हादसे में हुई मौतों को टाला जा सकता था.
रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 1997 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस बस्ती को हटाकर यहां के लोगों का किसी और जगह पुनर्वास करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यहां की रहने वाली मुन्नी गौड़ ने बताया कि हाईकोर्ट के आवास की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दिये गए आदेश के बाद उन्होंने पुनर्वास फीस के तौर पर बीएमसी को सात हज़ार रुपये भी दिए थे.
रिपोर्ट में बताया गया कि यह दीवार इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और यहां होने वाली बारिश की मात्रा को ध्यान में रखते हुए बनाई ही नहीं गई थी.
इसमें कहा गया था, ‘यह दीवार बहुत ख़राब तरीके से बनाई गई थी, इसमें ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी थी जहां से इसके पीछे इकट्ठे हुए पानी का दबाव रिलीज़ हो सके. पानी निकलने के लिए केवल डामर के नीचे एक नाली थी, जो संभावित है कि पौधे वगैरह के चलते ब्लॉक थी, जो पानी के दबाव या प्रवाह से बहे होंगे.’
कमेटी ने इस हादसे में प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द अस्थायी आश्रय, मेडिकल और सामाजिक सुविधाएं देने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि क्योंकि हादसे के हफ्ते भर बाद भी बीएमसी द्वारा झुग्गीवासियों को किसी भी तरह का अस्थाई आश्रय नहीं दिया गया है, जिसके चलते उन्हें अब संक्रमण होने का खतरा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)