उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तरकाशी के 132 गांवों में बीते तीन महीनों में कुल 216 बेटे पैदा हुए हैं, जबकि एक भी बेटी पैदा नहीं हुई. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है.
उत्तरकाशीः उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के 132 गांवों में बीते तीन महीनों में एक भी बेटी का जन्म नहीं हुआ है, जबकि इस दौरान कुल 216 बेटे पैदा हुए हैं. इस स्थिति का खुलासा होने के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है और मामले की पड़ताल शुरू कर दी गई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने इन 132 गांवों को रेड जोन के रूप में चिह्नित कर लिया है और स्थानीय सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) पर नजर रखनी शुरू कर दी है.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में इस बात का खुलासा हुआ है कि उत्तरकाशी जिले के 132 गांवों में बीते तीन महीने से एक भी बेटी पैदा नहीं हुई है.
2011 की जनगणना के मुताबिक, उत्तरकाशी में 1,68,597 पुरुषों की तुलना में 1,61,489 महिलाएं हैं. सरकारी एजेंसियों ने लिंग अनुपात में सुधार के लिए अभियान अभियान शुरू किया था. हालांकि, बीते तीन महीने के आंकड़ों ने जिले में कन्या भ्रूण हत्या की संभावनाओं की ओर इशारा किया है.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन महीनों में उत्तरकाशी के डुंडा ब्लॉक के 27 गांवों में हुई 51 डिलीवरी (प्रसव) में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई.
इसी तरह से भटवाड़ी ब्लॉक के 27 गांवों में 49 बेटे पैदा हुए, नौगाम के 28 गांवों में 47 बेटे, मोरी के 20 गांवों में 29 बेटे, चिनयालिसौर के 16 गांवों में 23 बेटे और पुरोला के 14 गांवों में 17 बेटे पैदा हुए, लेकिन इनमें से एक भी बेटी नहीं है.
उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने कहा, ‘स्वास्थ्य विभाग द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों में हमने पता लगाया कि 132 गांवों में हुई कुल 216 डिलीवरी में से एक भी बेटी पैदा नहीं हुई, जो संदेहजनक है और कन्या भ्रूण हत्या की संभावनाओं को उजागर करता है.’
उन्होंने कहा, ‘यह एक संयोग भी हो सकता है कि क्योंकि हमारे पास कन्या भ्रूण हत्या का कोई प्रमाण नहीं है. हम किसी तरह का मौका नहीं छोड़ सकते इसलिए हमने इन सभी 132 गांवों को रेड जोन में डाल दिया है और स्थानीय आशा कार्यकर्ताओं को रडार में ले लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘हम अगले छह महीनों में इन आंकड़ों और गतिविधियों पर नजर रखेंगे और अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आशा कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा दोषी पाए जाने वाले परिवार वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी.’
गंगोत्री से विधायक गोपाल रावत ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा कि यह चौंकाने वाला है कि जिले के 132 गांवों में बीते तीन महीनों में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई क्योंकि हमने पहाड़ी क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं मुश्किल से ही देखी और सुनी हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने चौंकाने वाले इन आंकड़ों की असल वजह का पता लगाने और इस समस्या के समाधान के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं. इसके अलावा हम प्रशासन, एनजीओ और अन्य सभी संभावित माध्यमों की मदद से बेटियों को बचाने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान भी शुरू करेंगे.’
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से पूरे मामले की पड़ताल कर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तरकाशी जिले के 133 गांवों में पिछले तीन महीने में जन्में 216 बेटों में एक भी बेटी न होने की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी को निर्देश किया गया है. निश्चित तौर पर ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं. यह हमारे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए भी चिंताजनक है.’