एनजीटी ने यमुना नदी को साफ करने संबंधी कार्य पर असंतोष जताते हुए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली: यमुना के बिना दिल्ली का अस्तित्व नहीं बचेगा, कहते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों को यमुना नदी के पुनर्जीवन और उसमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
एनजीटी ने राज्य सरकारों द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने में असफल रहने की स्थिति में जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी.
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने सारणीबद्ध तरीके से या तालिका बनाकर विवरण देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें अभी तक उठाये गए कदमों, क्रियान्वयन में देरी के कारण, ऐसे कदम जिन्हें उठाना जरूरी है और इनके पूरा होने की अनुमानित तिथि का उल्लेख हो.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस गोयल ने कहा, ‘यमुना को मारने का मतलब अंततः दिल्ली को मारना है- आज नहीं तो कल ही सही.’
पीठ ने कहा, ‘हलफनामे में ‘यमुना मैली से निर्मल यमुना पुनर्जीवन योजना, 2017’ के सभी घटक शामिल होने चाहिए जिन्हें इस अधिकरण ने मंजूर किया है. इसमें नदी के प्रवाह,मानकों को पूरा करने के लिए मौजूदा सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) का उन्नयन (अपग्रेडेशन), नए एसटीपी की स्थापना आदि शामिल होने चाहिए.’
अधिकरण ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और संबंधित नगर निगमों को अपनी टिप्पणियां दो सप्ताह में सौंपने का एक और अवसर दिया है.
अधिकरण ने यमुना नदी को साफ करने संबंधी कार्य पर असंतोष जताते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह पर्यावरण के संरक्षण में अपनी असफलता के लिए 50 लाख रुपये कार्य निष्पादन गारंटी (परफॉर्मेंस गारंटी) के तौर पर जमा कराए.
पीठ ने कहा कि प्राधिकारियों की विफलता नागरिकों का जीवन और उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है और यमुना जैसी प्रमुख नदी के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)