2019 के शुरुआती छह महीने में सीवर सफाई के दौरान 50 लोगों की मौतः रिपोर्ट

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़े सिर्फ आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़े सिर्फ आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं.

प्रतीकात्मक फोटो पीटीआई
प्रतीकात्मक फोटो पीटीआई

नई दिल्लीः राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के आकंड़ों के मुताबिक, 2019 की पहली छमाही में सीवर की सफाई के दौरान 50 सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़ें चौंकाने वाले हैं. हालांकि, एनसीएसके का कहना है कि ये आंकड़े सिर्फ आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं.

हालांकि, एनसीएसके का कहना है कि इन आठ राज्यों ने मरने वाले कर्मचारियों की संख्या कम करके दिखाई है. सफाई कर्मचारी आयोग को जो आंकड़े राज्यों ने दिए हैं, उन्हीं को आधिकारिक तौर पर शामिल किया है.

दिल्ली की ओर से दी गई जानकारी में इस साल एक जनवरी से 30 जून के बीच मरने वाले सफाई कर्मचारियों की संख्या तीन बताई गई है जबकि वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं. उदाहरण के लिए जून में दिल्ली जल बोर्ड की ओर से सफाई में लगाए गए तीन कर्मचारियों की मौत को इन आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है.

मालूम हो कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ही पूरे देश में एकमात्र ऐसी संस्था है जो इन हादसों में मरने वाले कर्मचारियों के आंकड़ें जुटाती है.

इस तरह से आंकड़े इकट्ठा करने के बावजूद आयोग के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 1993 से अब तक 817 कर्मचारियों की मौत सीवर की सफाई करते हुए हो चुकी है. 1993 से इस साल 30 जून तक का यह आंकड़ा 20 राज्यों का है.

आयोग ने बीते सप्ताह संसद के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की थी. आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को सिर्फ शौचालयों के निर्माण तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि इसके माध्यम से मैला ढोने वाले सफाई कर्मचारियों का पुनर्वास भी किया जाना चाहिए.

आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, सीवर की सफाई के दौरान मरने कर्मचारियों की संख्या तमिलनाडु में सबसे अधिक है. यहां कुल 210 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है.

गुजरात में मरने वाले सफाई कर्मचारियों की संख्या 156 रिकॉर्ड की गई है. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 77 और हरियाणा में 70 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. हरियाणा में बीते छह महीनों में ही 11 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है.

सीवर सफाई के दौरान मरने वाले कर्मचारियों के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान है. हर्जाना देने में ज्यादातर राज्यों का रिकॉर्ड बहुत खराब है. इस मामले में तमिलनाडु का रिकॉर्ड सबसे बेहतर है. यहां 75 फीसदी परिवारों को सहायता मिल चुकी है जबकि गुजरात में सिर्फ 30 फीसदी पीड़ित परिवारों को ही मुआवजे की राशि दी गई.

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष जाला ने मैनुअल स्केवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम के रूप में रोजगार का निषेध अधिनियम 2013 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में इन कर्मचारियों को नियुक्ति देने वाली संस्थाओं को इनकी मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने की बात कही गई है.

आयोग की रिपोर्ट में रेलवे को निशाना बनाकर कहा गया है कि रेलवे ही सबसे ज्यादा सफाई कर्मचारियों को काम पर रखता है और मैनुअल स्केवेंजिंग की समस्या रेलवे में सबसे अधिक है.