आरटीआई संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्रीय सूचना आयोग के पांच महत्वपूर्ण आदेशों का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि सरकार सीआईसी को पीएमओ की कठपुतली बनाना चाह रही है.
नई दिल्ली: बीते गुरुवार को सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 राज्यसभा से पारित कर दिया गया. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी पार्टियों का व्यापक विरोध देखने को मिला. हालांकि विपक्ष की आलोचना और वॉकआउट के बीच संसद ने आरटीआई संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी.
आरटीआई संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्रीय सूचना आयोग के पांच महत्वपूर्ण आदेशों का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि इन्हीं आदेशों की वजह से सरकार आरटीआई कानून में संशोधन करने के लिए विधेयक लेकर आई है.
उन्होंने कहा कि 2003 और 2013 के बीच जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (नरेंद्र मोदी) योजना आयोग आया करते थे तो आयोग उनसे राज्य की स्वास्थ्य एवं शिक्षा की स्थिति को लेकर कठिन सवाल पूछता था.
जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘साल 2014 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनें तो उन्होंने बदला लिया और योजना आयोग को खत्म कर दिया. आज भारत के प्रधानमंत्री सीआईसी के इन पांच फैसलों के लिए बदला ले रहे हैं.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इन पांच निम्नलिखित फैसलों का राज्यसभा में उल्लेख किया:
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने के लिए सीआईसी का आदेश
जनवरी 2017 में, तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त प्रो. एम. श्रीधर आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वे 1978 के सभी बीए छात्रों से संबंधित रिकॉर्ड के निरीक्षण की सुविधा दें. इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री हासिल की थी.
इस निर्देश के बाद आचार्युलु को मानव संसाधन विभाग के मामलों को देखने की जिम्मेदारी से हटा दिया गया था. सीआईसी के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और फिलहाल फैसले का इंतजार है.
2. नोटबंदी पर हुई रिजर्व बैंक की बैठक से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का आदेश
इसी साल फरवरी 2019 में सीआईसी ने आरबीआई तो निर्देश दिया कि नोटबंदी की घोषणा करने से पहले रिजर्व बैंक के निदेशकों के बोर्ड की हुई बैठक की मिनट्स ऑफ मीटिंग सार्वजनिक की जाए.
मिनट्स ऑफ मीटिंग से खुलासा हुई कि आरबीआई की बोर्ड ने सरकार को चेताया था कि नोटबंदी की वजह से थोड़े समय के लिए काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा एक महत्वपूर्ण खुलासा ये हुआ कि आरबीआई नोटबंदी लागू करने के पीछे सरकार द्वारा दी गई इन दो दलीलों से सहमत नहीं था कि इससे काला धन और नकली नोट समाप्त हो जाएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी लागू करने के पीछे बार-बार इन्हीं दो तर्कों का हवाला दिया है.
3. रघुराम राजन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए बड़े फ्रॉड करने वालों की सूची सार्वजनिक करने का आदेश
पिछले साल नवंबर महीने में सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्देश दिया कि वे पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन द्वारा फरवरी 2015 में भेजे गए बड़े फ्रॉड करने वालों की सूची सार्वजनिक करें.
पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने अपने आदेश में ध्यान दिया कि अगर सरकार ने पूर्व आरबीआई गवर्नर द्वारा दिए गए अलर्ट पर त्वरित कार्रवाई की होती तो नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी जैसे कई विलफुल डिफॉल्टर्स देश छोड़कर न भागे होते.
4. काले धन पर सीआईसी का आदेश
अक्टूबर 2017 में सीआईसी ने माना कि विदेश में रखे काले धन पर बनी विशेष जांच दल (एसआईटी) एक पब्लिक अथॉरिटी (सार्वजनिक प्राधिकार) है और इसे निर्देश दिया कि वे विदेश से लाए गए भारतीयों के काले धन के बारे में जानकारी दें.
5. फर्जी राशन कार्ड के बारे में जानकारी देने का आदेश
जयराम रमेश ने कहा कि सीआईसी द्वारा दिए गए एक आदेश से इस बात की पुष्टि हुई कि फर्जी राशन कार्ड को लेकर लोकसभा में नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया बयान गलत था. प्रधानमंत्री ने दावा किया कि करीब चार करोड़ फर्जी राशन कार्ड को खत्म किया गया है. जबकि आरटीआई आवेदन के जरिए पता चला कि ये संख्या करीब 2.3 करोड़ थी.
जयराम रमेश ने कहा, ‘सरकार के लिए ये शर्मनाक मामले हैं. प्रधानमंत्री की डिग्री को लेकर मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है. प्रधानमंत्री ने दावा किया कि चार करोड़ फर्जी राशन कार्ड को खत्म किया गया है लेकिन आरटीआई के जरिए पता चला कि बोगस राशन कार्ड की संख्या 2.3 करोड़ थी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सीआईसी ने पीएमओ को निर्देश दिया था कि विदेशों से लाए गए काले धन के बारे में जानकारी दें. हालांकि सीआईसी के आदेश के बावजूद पीएमओ ने जानकारी देने से मना कर दिया.’
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरटीआई कानून में संशोधन करने की मुख्य वजह सीआईसी को अप्रभावी बनाना है और सरकार सीआईसी को पीएमओ की कठपुतली बनाना चाह रही है.