कैफे कॉफी डे के संस्थापक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ सोमवार रात से लापता थे. कंपनी के बोर्ड और कर्मचारियों को कथित तौर पर लिखे गए एक पत्र में उन्होंने भारी दबाव में होने और एक व्यवसायी के रूप में विफल होने की बात कही थी.
नई दिल्ली: सोमवार से लापता कैफे कॉफी डे (सीसीडी) ब्रांड नाम से कॉफी रेस्तरां चलाने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज के संस्थापक, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वीजी सिद्धार्थ (55) का शव बुधवार तड़के मंगलुरु के पास नेत्रवती नदी के तट पर पाया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उनके परिवार ने उनकी पहचान कर ली है और बुधवार को ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
पुलिस के अनुसार, सोमवार से लापता चल रहे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ सक्लेश्पुर जा रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपने ड्राइवर से मंगलुरु चलने को कहा.
पुलिस के अनुसार, दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा इलाके में नेत्रवती नदी पर बने पुल के पास वह कार से उतर गए और उन्होंने चालक से कहा कि वह टहलने जा रहे हैं.
दक्षिण कन्नड़ जिले के उपायुक्त सेंथिल शशिकांत सेंथिल ने बताया था, ‘उन्होंने (सिद्धार्थ) ड्राइवर से उनके आने तक रुकने को कहा. जब वह दो घंटे तक वापस नहीं आए तो चालक ने पुलिस से संपर्क कर उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बुधवार सुबह उल्लाल के पास बहकर पहुंचे उनके शव को मछुआरों ने ढूंढ निकाला था. इसके बाद सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची.
उनके शव को मंगलुरु के वेंलॉक अस्पताल ले जाया गया, जहां से इसे मुदिगेरे के पास चेतनानहल्ली एस्टेट ले जाया जाएगा.
सिद्धार्थ की तलाश में पुलिस ने एनडीआरआर, कोस्ट गार्ड, होम गार्ड, फायर सर्विस और कोस्टल पुलिस की मदद ली थी. इसमें 100 से अधिक पुलिसकर्मी और गोताखोर 25 नौकाओं के जरिए उनकी तलाश में लगे थे. खोजी कुत्तों की भी मदद ली गई थी.
मंगलुरु के पुलिस आयुक्त संदीप पाटिल ने कहा था, ‘तलाश में स्थानीय मछुआरों की मदद ली जा रही है. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने किस-किस से फोन पर बात की थी.’
वहीं, सिद्धार्थ के लापता होने की खबर मिलने के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा बंगलुरु में एसएम कृष्णा से मिलने उनके घर पहुंचे थे और उन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार भी कृष्णा के घर पहुंचे थे.
लापता होने से घंटों पहले सिद्धार्थ ने बेंगलुरु स्थित कैफे कॉफी डे हेड ऑफिस में अपने पर्सनल स्टाफ को कॉल किया था और उन्हें एक पत्र के प्रसारित होने के बारे में बताया था.
उस कथित पत्र में उन्होंने कर्जदाताओं की तरफ से मिल रहे भारी दबाव और आयकर अधिकारियों से उत्पीड़न का जिक्र किया था. इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों से माफी मांगी थी जिन्होंने उन पर इतना भरोसा जताया था.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि 27 जुलाई को लिखे गए पत्र और कुछ स्टाफ मेंबर्स के साथ हुई आखिरी बातचीत इस बात की ओर संकेत करती है कि उनका व्यवहार सामान्य नहीं था.
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने एक स्टाफ से कहा था कि बकाया कर्ज को चुकाने के बाद वह कंपनी के हितों का ख्याल रखे. वह काफी भावुक थे, ऐसा किसी कारोबारी का स्वभाव नहीं होता है.
इन मुद्दों का उल्लेख कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड के निदेशक मंडल और उसके कर्मचारियों को लिखे गए सिद्धार्थ के पत्र में ही नहीं बल्कि सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट भी इसकी बढ़ती देनदारियों की गवाही देती है.
बता दें कि भारत की कॉफी की सबसे बड़ी श्रृंखला कैफे कॉफी डे अपना कर्ज लौटाने के लिए संघर्ष कर रही है जो करीब 4500 करोड़ रुपये को पार कर गया है.
समूह ने बैंकों, म्युचुअल फंड और एनबीएफसी सहित अन्य से ऋण जुटाया था, लेकिन मंगलवार को सार्वजनिक हुए एक पत्र में सिद्धार्थ ने कहा था कि प्राइवेट इक्विटी पार्टनर्स मुझे शेयर बेचने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
27 जुलाई को लिखी गई चिट्ठी में सिद्धार्थ ने आयकर अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कथित ‘उत्पीड़न’ का भी ज़िक्र किया था. इस पर विभाग ने कहा कि उसने कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की थी.