हम पिज़्ज़ा पहुंचा रहे हैं या विधेयक पारित कर रहे हैं: टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि जिस तरीके से विधेयक पारित हो रहे हैं, वह संसद का मज़ाक बनाना है और सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज़ दबाना है.

तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन. (फोटो: पीटीआई)

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि जिस तरीके से विधेयक पारित हो रहे हैं, वह संसद का मज़ाक बनाना है और सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज़ दबाना है.

तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन. (फोटो: पीटीआई)
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ’ब्रायन ने संसद सत्र के दौरान जल्दबाजी में पारित किए जा रहे विधेयकों को लेकर बुधवार को सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि क्या हम पिज्जा पहुंचा रहे हैं या फिर विधेयक पारित कर रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने मंगलवार को कहा था कि जिस तरीके से विधेयक पारित हो रहे हैं वह संसद का मजाक बनाना है और सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज दबाना है.

उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया, ‘संसद विधेयकों का परीक्षण करता है. यह चार्ट इस सत्र को ध्वस्त किए जाने का वर्णन करता है. क्या हम पिज्जा आपूर्ति कर रहे हैं या विधेयक पारित कर रहे हैं?’

ओ’ब्रायन ने एक चार्ट भी पेश किया जिसमें दिखाया गया है कि 2004-2009 के दौरान संसद के कुल 60 फीसदी विधेयकों का परीक्षण हुआ, 2009-2014 के दौरान यह 71 फीसदी हो गई लेकिन 2014- 2019 के दौरान यह आंकड़ा घटकर 26 फीसदी रह गया.

उन्होंने दावा किया कि वर्तमान लोकसभा में 18 विधेयक पारित हुए और केवल एक का परीक्षण हुआ जिससे यह आंकड़ा घटकर पांच फीसदी रह गया.

गौरतलब है कि 30 जुलाई को राज्यसभा ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है.

सदन ने विधेयक को 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी. इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया था.

विधेयक पारित होने से पहले ही जदयू और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया था. वहीं चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने मत ही नहीं दिया था, जिससे विधेयक पास कराने के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा नीचे गिर गया था.

राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों के साथ-साथ अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस ने भी तीन तलाक संबंधी विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की. विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका मकसद मुस्लिम परिवारों को तोड़ना बताया.

मालूम हो कि विपक्ष के बहुत सारे राज्यसभा सदस्य तीन तलाक से संबंधित विधेयक पारित कराने के लिए हुए मतदान से खुद को अलग रखा, जबकि टीएमसी के 13 में से 12 राज्यसभा सदस्य मतदान में शामिल हुए.

इससे पहले टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा था कि सरकार ने अपने बहुमत का इस्तेमाल किया लोकसभा में दोषपूर्ण आरटीआई बिल को जबरदस्ती पारित कराने के लिए किया.

बाद में विपक्ष के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पास कर तब डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा था, ‘संसद को किसी भी विधेयक का परीक्षण करना चाहिए. इसके लिए समय की जरूरत होती है. यह टी-20 मैच नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)