केंद्र सरकार ने 22 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एए क़ुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम की सिफ़ारिश पर निर्णय लेने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था. केंद्र सरकार ने अब और दस दिन का समय मांगा है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने जज एए क़ुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने की कॉलेजियम की अनुशंसा पर 14 अगस्त तक निर्णय करने का शुक्रवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ को बताया कि इस मामले में निर्णय के लिये उसे दस दिन का और समय दिया जाना चाहिए क्योंकि संसद का सत्र अभी जारी है.
पीठ ने कहा, ‘आपको जो भी फैसला लेना है, वह लें और उसे न्यायालय के समक्ष रखें.’ पीठ ने यह भी कहा कि इस निर्णय को अदालत के न्यायिक या फिर प्रशासनिक पक्ष में से किसी के भी समक्ष रखा जा सकता है.
पीठ गुजरात हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ (जीएचसीएए) की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें केंद्र को जस्टिस क़ुरैशी की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की 10 मई की अनुशंसा पर कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
जस्टिस क़ुरैशी वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट के जज हैं और कॉलेजियम ने उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य जज बनाए जाने की अनुशंसा की है. केंद्र ने इससे पहले अदालत को सूचित किया था कि जस्टिस क़ुरैशी की नियुक्ति का विषय उसके पास विचाराधीन है.
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याचिका दायर करने वाले जीएचसीएए के अध्यक्ष यतीन ओजा ने कथित रूप से कहा है कि जस्टिस क़ुरैशी को सिर्फ इसलिए अलग-थलग किया गया है क्योंकि उन्होंने 2010 में अमित शाह, जो अब गृह मंत्री हैं, को पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था.
गौरतलब है कि 22 जुलाई को केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस एए क़ुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाये जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम की सिफारिश पर फैसला लेने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था.
जस्टिस क़ुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को केंद्र को सिफारिश भेजी थी लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया.
यतीन ओज़ा ने अपने एक लेख में कहा था कि जस्टिस कुरैशी ने एक बार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में भूमिका के कारण अमित शाह को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था. 2011 में जस्टिस कुरैशी ने जस्टिर आरए मेहता को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त करने के तत्कालीन राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया था, जिसे राज्य की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा चुनौती दी गई थी.
ओजा 2010 में शाह के वकील थे और उन्हें कुरैशी द्वारा शाह को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजने के फैसले में कुछ भी गलत नहीं लगा था.
ओजा का आरोप है कि केंद्र द्वारा जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पदोन्नति देने के मामले में फैसले को लटकाना बदले की भावना से की गई कार्रवाई जैसा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)