8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर आई हॉस्पिटल में 13 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किए गए थे, जिनमें से ग्यारह ने ऑपरेशन के बाद कुछ दिखाई न देने की बात कही है.
इंदौर: मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान यहां एक निजी अस्पताल में कथित संक्रमण से ग्यारह मरीजों की आंखों की रोशनी बाधित होने का मामला सामने आया है.
इसके बाद अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सील कर दिया गया है और मामले की जांच के लिये समिति गठित की गयी है. यह अस्पताल एक ट्रस्ट द्वारा संचालित है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने शनिवार को बताया कि आठ अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर आई हॉस्पिटल में 13 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किए गए थे.
जड़िया ने कहा, ‘पहली नजर में लगता है कि मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान कथित संक्रमण से मरीजों की आंखों की हालत बिगड़ी. संक्रमण के कारणों की जांच की जा रही है. अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने पर विचार किया जा रहा है.’
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर महाशब्दे ने बताया कि संक्रमण का कारण अब तक पता नहीं चला है, अन्य विशेषज्ञ भी जांच कर चुके हैं. सैंपल भी जांच के लिए भिजवाए गए हैं.
बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के शिकार मरीजों की उम्र 45 से 85 वर्ष के बीच है. इनमें शामिल रामी बाई (50) ने रुआंसे स्वर में कहा, ‘मुझे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा है.’
वहीं, फुटबॉल खिलाड़ी रहे मनोहर हरोर की बाईं आंख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था, उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद जब दवाई डाली तो उस आंख से दिखना बंद हो गया.
इस बीच, जिलाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि निजी अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सील कर दिया गया है, साथ ही आंखों के ऑपरेशन पर पाबंदी लगा दी है.
उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज के लिये सभी मरीजों को अन्य निजी अस्पताल में भेजा गया है. उन्हें रेडक्रॉस सोसायटी की मदद से सहायता राशि दी जा रही है.
इंदौर, प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट का गृह नगर है.
सिलावट ने मोतियाबिंद ऑपरेशनों के बिगड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिये इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति बनाने के आदेश दिये गये हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी कहा, ‘जो लोग जांच में दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ उचित वैधानिक कदम उठाये जायेंगे. इन मरीजों की आंख की रोशनी वापस लाने के लिए चेन्नई से चिकित्सकों को बुलाया जा रहा है.’
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर पूरे मामले की जांच इंदौर कमिश्नर की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी करेगी, जिसमें इंदौर कलेक्टर समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल हैं.
राज्य सरकार में मंत्री जीतू पटवारी ने भी कहा कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही पीड़ित परिवार को 50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी. साथ ही उनके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा.
पटवारी ने यह भी बताया कि पूरे मामले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी संज्ञान लिया है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब इस अस्पताल से मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद इस तरह की शिकायत सामने आई है. दिसंबर 2010 में भी यहां मोतियाबिंद के ऑपरेशन असफल हुए थे, जिसके बाद 18 लोगों की दृष्टि चली गयी थी.
उस समय तत्कालीन सीएमएचओ द्वारा संबंधित डॉक्टर व जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की गयी थी और जनवरी 2011 में अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन व शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया, हालांकि कुछ महीनों की पाबंदी के बाद स्थितियां पूर्ववत हो गईं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)