उत्तर प्रदेश में तीन तलाक़ के सबसे ज़्यादा 26 केस मेरठ में दर्ज हुए हैं. इसके बाद सहारनपुर में 17 और शामली में 10 केस दर्ज किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन तलाक़ के 10 केस सामने आए हैं.
लखनऊः तीन तलाक रोधी कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में इससे जुड़े जुड़े मुकदमों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने मंगलवार को बताया, ‘उत्तर प्रदेश में तीन तलाक पीड़ित महिलाएं अपने शौहरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए बड़ी संख्या में आ रही हैं. बीते एक अगस्त को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के लागू होने के बाद से लेकर 21 अगस्त तक राज्य में तलाक-ए-बिद्दत के अभी तक 216 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.’
इनमें सबसे ज्यादा 26 मुकदमे मेरठ में, सहारनपुर में 17 और शामली में 10 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इन जिलों में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है.
अधिकारी ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में तीन तलाक के 10 मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
उन्होंने बताया कि दर्ज मुकदमों के मुताबिक, तीन तलाक के ज्यादातर मामले दहेज, संपत्ति के विवाद और घरेलू हिंसा की वजह से हुए हैं.
हालांकि इन 216 मामलों में से दो-तीन को छोड़कर किसी में भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. नियम के अनुसार, सात साल से कम सजा के प्रावधान वाले मामलों में विशेष परिस्थितियों को छोड़कर गिरफ्तारी नहीं होती है.
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कुछ ट्रिपल तलाक फोन, एसएमएस के माध्यम से या सीधे ही महिलाओं को दिए गए हैं.
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने बताया तीन तलाक रोधी कानून को और प्रभावी बनाने के लिए हम इसके आरोपियों की गिरफ्तारी की सम्भावनाएं तलाश रहे हैं. इसके लिए तमाम तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि पुलिस बहुत जल्द मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए मुकदमे दर्ज होने से पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करेगी.
मालूम हो कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 मुस्लिम पति द्वारा दिए जाने वाले तलाक-ए-बिद्दत यानी कि तीन तलाक को गैरकानूनी बताता है. नए कानून के अनुसार अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक रूप से, लिखकर या इलेक्ट्रॉनिक रूप में या किसी भी अन्य विधि से तलाक-ए-बिद्दत देता है तो यह अवैध माना जाएगा.
तलाक-ए-बिद्दत में कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को तात्कालिक रूप से तीन बार ‘तलाक’ बोलकर उससे संबंध खत्म कर लेता है.
कानून में ‘तीन तलाक’ देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की कैद हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी. इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)