राज्य के 24 पहाड़ों को पर्वतारोहियों के लिए खोलने की अधिसूचना वापस ले केंद्र: सिक्किम सरकार

केंद्र की मोदी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में देश की 137 चोटियों पर पर्वतारोहण की मंज़ूरी दी है. इन 137 चोटियों में से 24 चोटियां सिक्किम में हैं. इसमें कंचनजंघा भी शामिल है, जिसे सिक्किम के लोग देवता मानते हैं.

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(फोटो: फरहान ख़ान/Unsplash)

केंद्र की मोदी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में देश की 137 चोटियों पर पर्वतारोहण की मंज़ूरी दी है. इन 137 चोटियों में से 24 चोटियां सिक्किम में हैं. इसमें कंचनजंघा भी शामिल है, जिसे सिक्किम के लोग देवता मानते हैं.

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गंगटोक/कोलकाता: सिक्किम सरकार ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह राज्य के 24 पहाड़ों को पर्वतारोहियों के लिए खोलने की अधिसचूना वापस लें. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.

केंद्र सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में देश में स्थित हिमालय की 137 चोटियों पर पर्वतारोहण की मंज़ूरी दी है. इन 137 चोटियों में से 24 चोटियां सिक्किम में हैं. इसमें कंचनजंघा भी शामिल है, जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है.

सिक्किम के मुख्य सचिव आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बीते सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को यह कहते हुए पत्र लिखा है कि सिक्किम में पर्वतारोहियों के लिए चोटियों का खोला जाना गंभीर चिंता का विषय है. राज्य सरकार ने तत्काल अधिसूचना वापस लेने की मांग की है.

सूचना एवं लोक संबंध विभाग की एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्य के मठों-मंदिरों और अन्य सभी धार्मिक संस्थानों के बाहरी मामलों पर नजर रखने वाले विभाग मंत्री सोनम लामा और गृह एवं पर्यटन सचिव के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि वह लामा के साथ मिलकर स्थानीय लोगों की इन चोटियों के साथ जुड़ी संवेदना पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ चर्चा करेंगे.

मालूम हो कि सिक्किम में स्थानीय नागरिक अनेक चोटियों को पवित्र मानते हैं.

केंद्र के इस कदम की मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने भी आलोचना की है और सरकार से अधिसूचना वापस लेने का आग्रह किया है.

सिक्किम से आने वाले भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने इस मामले को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू के समक्ष उठाया है.

इस बीच सिक्किम के मुख्य सचिव आलोक कुमार श्रीवास्तव ने कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पर्यटन के मामलों में जिससे स्थानीय भावनाएं जुड़ीं हो, उस पर कोई राष्ट्रीय नीति बनाने से पहले राज्य सरकारों से सलाह लेने चाहिए.

द वायर से बात करते हुए सिक्किम भूटिया लेप्चा अपेक्स कमेटी के संयोजक त्सेतेन ताशी भूटिया ने कहा, ‘राज्य के सभी पहाड़ खासतौर पर कंजनजंघा को स्थानीय भूटिया, लेप्चा और बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र मानते हैं. हम मनाते हैं कि हमारे देवता इन पहाड़ों में निवास करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पहाड़ी इलाकों के अधिकांश लोग प्रकृति की बहुत सारी चीजों को पवित्र मानते हैं. हम भी ऐसा करते हैं. इसलिए हम इस कदम से परेशान हैं. हम कंचनजंघा पर सिक्किम की तरफ से नहीं चढ़ते.’

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार यह भूल गई है कि सिक्किम उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं है. यह संविधान के अनुच्छेद 371एफ के तहत चलता जो उन चीजों की रक्षा करता है, जिसे लोग पवित्र मानते हैं.’

मालूम हो कि कि हर साल सिक्किम के लोग अपने स्थानीय देवता कंचनजंघा को समर्पित एक त्योहार ‘पंग ल्हाबसोल’ मनाते हैं. ताशी ने बताया, ‘यह त्योहार कंजनजंघा से यह प्रार्थना करने के लिए मनाया जाता है ताकि वह सिक्किम की रक्षा करना जारी रखे. यह त्योहार तिब्बती कैलेंडर के सातवें महीने के 15वें दिन मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 13 सितंबर को मनाया जाएगा.’

विश्व हिंदू परिषद की स्थानीय इकाई ने भी केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाज उठाई है. विहिप ने कहा है कि यह राज्य के हिंदू-बौद्ध समुदाय का अपमान है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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