संस्थानों में जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ अदालत पहुंचीं रोहित वेमुला-पायल तड़वी की मांएं

कथित तौर पर जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने साल 2016 में और इस साल मई में मुंबई के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. पायल तड़वी ने आत्महत्या कर ली थी.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

कथित तौर पर जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने साल 2016 में और इस साल मई में मुंबई के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. पायल तड़वी ने आत्महत्या कर ली थी.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कॉलेज में कथित तौर पर जातिगत भेदभाव को जिम्मेदार बताते हुए आत्महत्या करने वाले रोहित वेमुला और पायल तड़वी की माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शैक्षणिक और अन्य संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पायल तड़वी की मां आबेदा सलीम तड़वी और रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने अदालत से गुहार लगाई है कि शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने का सशक्त और कारगर तंत्र बनाया जाए.

आबेदा सलीम तड़वी और राधिका वेमुला ने अपनी याचिका में 2012 के यूजीसी विनियमन का कड़ाई से पालन करने की मांग की है, जो इस तरह के भेदभाव को प्रतिबंधित करता है.

राधिका वेमुला ने इस साल की शुरुआत में सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने की बात कही थी, जिसे वो अपने बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार मानती हैं.

याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में समान अवसर मुहैया करवाने के लिए विशेष सेल बनाए जाने के निर्देश दिए जाएं. इससे अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों, शिक्षकों या कर्मचारियों के साथ भेदभाव की आंतरिक शिकायतों के समय से निपटारे में मदद मिलेगी.

याचिका में मौलिक अधिकारों खासतौर पर समता का अधिकार, जातिगत भेदभाव के निषेध का अधिकार और जीवन का अधिकार लागू कराने की मांग की गई है.

मौजूदा याचिका देशभर में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त जातिगत भेदभाव से संबंधित हैं. इसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ जातिगत भेदभाव की कई घटनाएं हुई हैं जो मौजूदा मानदंडों और नियमनों का पालन नहीं किए जाने को दर्शाता है.

याचिका में कहा गया है कि ये घटनाएं संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 21 के तहत प्रदत्त समता का अधिकार, समान अवसर, भेदभाव के खिलाफ अधिकार, अस्पृश्यता का अंत और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती हैं.

याचिकाकर्ताओं ने केंद्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को यूजीसी समानता नियमनों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

उन्होंने केंद्र और यूजीसी को यह भी निर्देश देने की मांग की है कि वे सुनिश्चित करें कि डीम्ड विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों समेत सभी विश्वविद्यालय यूजीसी के समानता नियमनों का पालन करें.

गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में से पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने साल 2016 में जातिगत भेदभाव को कथित तौर पर जिम्मेदार बताते हुए आत्महत्या कर ली थी जबकि मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल में कथित उत्पीड़न का सामना करने के बाद बीते 22 मई को डॉ. पायल तड़वी ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी. रोहित वेमुला और पायल तड़वी अनुसूचित जाति/जनजाति से आते थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)