कश्मीर प्रेस क्लब की संचार माध्यमों से प्रतिबंध हटाने की मांग

कश्मीर प्रेस क्लब ने पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए इंटरनेट और टेलीफोन सुविधा बहाल करने की मांग करते हुए प्रशासन द्वारा कुछ पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करने के आदेश की आलोचना की है.

Jammu: A Rapid Action Force (RAF) personnel stand guard during restrictions in Jammu, Friday, Aug 9, 2019. Restrictions have been imposed in several districts of Jammu and Kashmir as a precautionary measure after the state lost its special status and was bifurcated on Tuesday as Parliament approved a resolution scrapping Article 370 of the Constitution and passed a bill to split the state into two Union Territories. (PTI Photo)(PTI8_9_2019_000056A)(PTI8_9_2019_000161B)
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद जम्मू में तैनात एक सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

कश्मीर प्रेस क्लब ने पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए इंटरनेट और टेलीफोन सुविधा बहाल करने की मांग करते हुए प्रशासन द्वारा कुछ पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करने के आदेश की आलोचना की है.

Jammu: A Rapid Action Force (RAF) personnel stand guard during restrictions in Jammu, Friday, Aug 9, 2019. Restrictions have been imposed in several districts of Jammu and Kashmir as a precautionary measure after the state lost its special status and was bifurcated on Tuesday as Parliament approved a resolution scrapping Article 370 of the Constitution and passed a bill to split the state into two Union Territories. (PTI Photo)(PTI8_9_2019_000056A)(PTI8_9_2019_000161B)
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) ने घाटी में ‘अप्रत्याशित संचार पाबंदी’ को लेकर गंभीर चिंता प्रकट की और कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करने के लिए कहे जाने पर प्रशासन की आलोचना की.

द स्क्रॉल के अनुसार, केपीसी ने कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि पत्रकारों को झुकाने पर केंद्रित उत्पीड़न है.

बता दें कि, जम्मू कश्मीर में लगी संचार पाबंदी को मंगलवार को 30 दिन पूरे हो गए. बीते 5 अगस्त के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में संचार माध्यमों के साथ ही कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं.

जिन तीन कश्मीरी पत्रकारों को आवास छोड़ने के लिए कहा गया है कि वे अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एपी के एजाज हुसैन, रॉयटर्स के फयाज बुखारी और एनडीटीवी के नजीर मसूदी हैं.

कश्मीर में मीडिया और पत्रकारों पर लगी पाबंदियों की निंदा करते हुए क्लब की कार्यकारी समिति ने अपनी बैठक में कहा कि ‘अप्रत्याशित संचार पाबंदी’ के चलते मोबाइल, इंटरनेट एवं लैंडलाइन के प्रभावित रहने से पत्रकारों का कामकाज ठप्प पड़ गया है और वे जमीनी स्थिति के बारे में रिपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं.

समिति ने एक बयान में कहा कि पांच अगस्त को संचार पाबंदी लगने के बाद से क्लब ने कई बार प्रशासन के सामने यह मुद्दा उठाया और पत्रकारों एवं मीडिया संगठनों के लिए मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन बहाल करने की अपील की लेकिन सारे प्रयास व्यर्थ गये.

बयान में कहा गया है, ‘कश्मीर प्रेस क्लब मांग करता है कि सरकार पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए इंटरनेट और टेलीफोन सुविधा बहाल करे.’

वहीं दूसरी तरफ, राज्य प्रशासन का दावा है कि जम्मू कश्मीर के 93 फीसदी हिस्सों में दिन के समय प्रतिबंध के आदेश लागू नहीं होते हैं. हालांकि, जहां प्रतिबंधों में धीरे-धीरे छूट दी जा रही है वहीं, कई हिस्सों में संचार माध्यमों पर पाबंदी लागू है.

इसके साथ ही प्रेस क्लब ने कश्मीरी पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी को बीते 31 अगस्त को जर्मनी जाने के दौरान नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोके जाने की आलोचना की.

वे जर्मन मीडिया संस्थान डॉयचे वेले के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे. गिलानी कश्मीर प्रेस क्लब के भी कार्यकारी सदस्य हैं.

प्रेस क्लब ने यह आरोप भी लगाया कि एक कश्मीरी पत्रकार को अधिकारियों ने उसका सोर्स बताने के लिए समन भी किया. प्रेस क्लब ने कहा, ‘हमने प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे पत्रकारों को बिना किसी दबाव के काम करने की छूट दें और मीडिया के काम करने का स्वतंत्र माहौल तैयार करें.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)