किरण नागरकर ने मराठी और अंग्रेज़ी भाषा में सात उपन्यास लिखे हैं. उन्हें अपने उपन्यास क्यूकोल्ड के लिए 2001 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
मुंबई: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यासकार और नाटककार किरण नागरकर का गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 77 वर्ष के थे.
उन्हें दो सितंबर को ब्रेन हैमरेज हुआ था जिसके बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
समकालीन भारतीय साहित्य के पुरोधा माने जाने वाले नागरकर ने मराठी और अंग्रेजी में सात उपन्यास लिखे. उन्होंने नाटक और स्क्रीनप्ले भी लिखे.
साल 1942 में मुंबई में पैदा हुए नागरकर ने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से पढ़ाई की. 1974 में 32 साल की उम्र में उनका पहला उपन्यास मराठी भाषा में ‘साट सक्कम त्रेचलिस’ प्रकाशित हुआ था. साल 2019 में ही ‘द आर्सेनिस्ट’ नाम से मराठी में उनका अंतिम उपन्यास प्रकाशित हुआ, जिसका बाद में अंग्रेजी में अनुवाद भी हुआ.
उनकी अन्य रचनाओं में ‘गॉड्स लिटिल सोल्जर’ (2006), ‘रावण एंड एडी’ (2004) और इसके दो सीक्वेल- ‘द एक्स्ट्रा’ (2012) और ‘रेस्ट इन पीस’ (2015) लिखा. इसके अलावा ‘बेडटाइम स्टोरीज’ (1978), ‘जसोदा’ (2018), ‘द आर्सेनिस्ट’ (2019) है.
उपन्यास ‘क्यूकोल्ड’ (1997) के लिए 2001 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित होने के अलावा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए उन्हें एचएन आप्टे अवॉर्ड, साहित्य के जरिए संचार सौहार्द फैलाने के लिए डालमिया अवॉर्ड से भी नवाजा गया है.
मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में लिखने वाले नागरकर की कला के केंद्र में हमेशा मुंबई रहा. उन्होंने द वायर के साथ वीडियो साक्षात्कार में भी मुंबई को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया था.
एक शिक्षाविद, पत्रकार, पटकथा लेखक और साहित्यकार किरण नागरकर ने बच्चों के लिए भी कई नाटक और स्क्रीनप्ले लिखे. उन्होंने विज्ञापन इंडस्ट्री के लिए भी काफी लिखा.
मीटू मूवमेंट के समय किरण नागरकर पर तीन महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था. हालांकि नागरकर ने इन आरोपों का खंडन किया था.