सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की यह ज़िम्मेदारी है कि वह दिल्ली मेट्रो रेल निगम की वित्तीय स्थिति ठीक रखे और ऐसा कोई कदम नहीं उठाए जिसकी वजह से उसे घाटा उठाना पड़े. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून महीने में मेट्रो और बस में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने की घोषणा की थी.
नई दिल्ली: राजधानी में महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने की दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की आलोचना का निशाना बनी.
न्यायालय ने इस तरह की ‘मुफ्त’ यात्रा और ‘रियायत’ देने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को घाटा हो सकता है.
न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार को जनता के पैसे से इस तरह की मुफ्त रेवड़ियां देने से गुरेज करना चाहिए और साथ ही उसे चेतावनी दी कि वह उसे ऐसा करने से रोक सकती है क्योंकि न्यायालय अधिकारविहीन नहीं हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, ‘यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा की इजाजत देंगे तो दिल्ली मेट्रो को घाटा हो सकता है. यदि आप ऐसा करेंगे तो हम आपको रोकेंगे. आप यहां पर एक मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें नुकसान हो. आप प्रलोभन मत दीजिए. यह जनता का पैसा है.’
पीठ ने कहा, ‘आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? क्या आप इस तरह की मुफ्त सुविधा देंगे और कहेंगे कि केंद्र सरकार को इसका खर्च वहन करना चाहिए.’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून महीने में कहा था कि उनकी सरकार राजधानी में मेट्रो और बस में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने पर विचार कर रही है और उसकी योजना दो से तीन महीने के भीतर इसे लागू करने की है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि हम इस सब्सिडी को किसी पर थोपने नहीं जा रहे हैं, बल्कि दिल्ली सरकार इसका सारा खर्च उठाएगी. सक्षम महिलाएं चाहें तो टिकट खरीद सकती हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार का यह कदम गले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया है.
दिल्ली सरकार के इस कदम पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के पूर्व प्रमुख और ‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर ई. श्रीधरन ने कहा था कि महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा संबंधी प्रस्ताव एक चुनावी पैंतरा है.
श्रीधरन ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लिखे पत्र में कहा था, ‘हर कोई जानता है कि यह अगले विधानसभा चुनाव में महिलाओं के वोट हासिल करने का एक चुनावी पैंतरा है. मैं आपकी सरकार से चुनावी फायदे के लिए दिल्ली मेट्रो जैसी इस कुशल और सफल सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बर्बाद नहीं करने की अपील करता हूं.’
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस तरह से अपने पैसे का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘आपके पास जो है वह जनता का पैसा और जनता का विश्वास है.’ पीठ ने सवाल किया, ‘क्या आप समझते हैं कि अदालतें अधिकारविहीन हैं.’
हालांकि दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस प्रस्ताव पर अभी अमल नहीं किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)