ब्रिटिश ईसाई धर्मगुरु आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन वेलबी जलियांवाला बाग पहुंचे और 1919 में हुए नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए ज़मीन पर दंडवत लेट गए. उन्होंने यह भी कहा कि वे इस जगह हुए अपराध के लिए शर्मिंदा हैं.
अमृतसरः ब्रिटिश ईसाई धर्मगुरु आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन वेलबी ने मंगलवार को पंजाब के जलियांवाला बाग मेमोरियल में सिर झुकाकर भारतीय शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 1919 में यहां पर जो अपराध हुआ था, वह उसके लिए शर्मसार हैं और माफी मांगते हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ईश्वर से माफ कर देने की प्रार्थना करते हुए जस्टिन वेल्बी जमीन पर दंडवत मुद्रा में लेट गए. उन्होंने इस घटना पर दुख जताया.
I feel a deep sense of grief, humility and profound shame having visited the site of the horrific #JallianwalaBagh massacre in Amritsar today.
Here, a great number of Sikhs – as well as Hindus, Muslims and Christians – were shot dead by British troops in 1919. pic.twitter.com/p5fDprIMbr
— Archbishop of Canterbury (@JustinWelby) September 10, 2019
जस्टिन वेल्बी ने नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा, ‘मैं ब्रिटिश सरकार के लिए तो कुछ नहीं कह सकता. मैं सरकार का प्रवक्ता नहीं हूं लेकिन मैं ईश्वर के नाम पर बोल सकता हूं. यह पाप और मुक्ति का स्थान है. आपने याद रखा है कि उन्होंने क्या किया और उनकी यादें जिंदा रहेंगी. यहां हुए अपराध को लेकर मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूं. धार्मिक नेता होने के चलते मैं इस पर शोक व्यक्त करता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘यहां मैं उन लोगों के प्रति दुख और पश्चाताप जताने आया हूं, जो ब्रिटिश गोलियों से मारे गए. मैं सरकार की ओर से कुछ नहीं कह सकता लेकिन मैं पश्चाताप जता सकता हूं.’
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल पहले इस जगह पर हुई घटना को देखर शर्म आती है. मैं इस घटना में मारे गए लोगों और उनके परिजनों के लिए प्रार्थना करता हूं. मैं यह प्रार्थना इसलिए कर रहा हूं ताकि हम इतिहास से सीख सकें.
आर्कबिशप से नरसंहार पर माफी मांगने के बाद ब्रिटिश सरकार के रुख को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैंने जो महसूस किया, उसे बारे में काफी सोचा. मुझे लगता है कि इसके बारे में इंग्लैंड में भी प्रचारित किया जाएगा.’
गौरतलब है कि 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डाला था. इस घटना के 100 साल बीत जाने के बाद भी ब्रिटेन ने इसके लिए औपचारिक तौर पर माफी नहीं मांगी है.