राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने धमकी देने का आरोप लगाते हुए पूर्व सरकारी अधिकारी एन. षणमुगम और राजस्थान निवासी संजय कलाल बजरंगी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने वाले 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोकसेवक के खिलाफ बृहस्पतिवार को अवमानना का मामला बंद कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि इस वयोवृद्ध व्यक्ति ने धवन को लिखे पत्र में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर खेद व्यक्त कर दिया है. पीठ ने उसे आगाह किया कि भविष्य में इस तरह की हरकत की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
राजीव धवन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह इस सेवानिवृत्त लोक सेवक के लिये किसी प्रकार का दंड नहीं चाहते लेकिन पूरे देश में यह संदेश जाना चाहिए कि किसी भी पक्ष की ओर से पेश होने वाले किसी वकील को इस तरह से धमकी नहीं दी जानी चाहिए.
वयोवृद्ध पूर्व कर्मचारी एन षणमुगम के वकील ने कहा कि वह धवन को लिखे गये पत्र में इस्तेमाल किये गये शब्दों के लिये खेद व्यक्त कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने तीन सितंबर को धवन की अवमानना याचिका पर षण्मुगम को नोटिस भेजा था.
षणमुगम ने पत्र में धवन को कथित रूप से धमकी देते हुये कहा था कि राम लला के खिलाफ मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मामला हाथ में लेने की वजह से वह शारीरिक रूप से कष्ट भोगेंगे.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में धवन सुन्नी वक्फ बोर्ड और एम सिद्दीक की ओर से बहस कर रहे हैं. धवन ने कहा था कि उन्हें षणमुगम का पत्र 14 अगस्त, 2019 को मिला था.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उनके घर और न्यायालय परिसर में भी उनका पीछा किया जा रहा है.
धवन ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि इस मामले में पेश तथ्यों के आधार पर संविधान पीठ को संविधान के अनुच्छेद 129 और न्यायालय की अवमानना कानून की धारा 15 के तहत इसका स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.
इसके साथ ही धवन ने राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी पर भी अवमानना का मामला दर्ज कराया था. उन्होंने कहा था कि बजरंगी का व्हाट्सऐप संदेश मिला है जो कि न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने का प्रयास है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि अनेक व्यक्ति धमकी भरे व्यवहार के साथ उन पर न्यायालय परिसर और घर तक टिप्पणी करते रहते हैं.
वहीं, कथित धमकियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर किए जाने के कुछ दिनों बाद 12 सितंबर को उन्होंने शिकायत की थी कि 11 सितंबर को उनके क्लर्क के साथ अदालत परिसर में मारपीट की गई. धवन ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें फेसबुक पर एक और धमकी भरा संदेश मिला है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)