सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में होने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया लिया गया है. एक सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई.
अधिसूचना में बताया गया है कि उनका इस्तीफा छह सितंबर से प्रभावी रूप से स्वीकार हो गया.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका तबादला मेघालय हाईकोर्ट में होने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद जस्टिस ताहिलरमानी ने इस्तीफा दे दिया था.
President accepts resignation of Madras High Court Chief Justice V K Taliramani w.e.f. September 6, 2019 pic.twitter.com/tMzRUjS32K
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एक अन्य अधिसूचना में बताया गया है कि जस्टिस वी. कोठारी को मद्रास उच्च न्यायालय का कार्यवाहक न्यायाधीश नियुक्त किया गया है.
जस्टिस गोगोई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने ताहिलरमानी को मेघालय हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी, जो कि मद्रास हाईकोर्ट के मुकाबले काफी छोटा हाईकोर्ट है. उन्हें पिछले साल आठ अगस्त को ही मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था.
कॉलेजियम ने 28 अगस्त को उनका तबादला करने की सिफारिश की थी. इसके बाद जस्टिस ताहिलरमानी ने अपने तबादले के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने के लिए कॉलेजियम को एक प्रतिवेदन दिया था. उन्होंने कॉलेजियम के फैसले का विरोध भी किया था.
Senior-most judge of Madras High Court Justice Vineet Kothari has been appointed as the Acting Chief Justice of that High Court. pic.twitter.com/lsbBtYTnL8
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शीर्ष अदालत के कॉलेजियम में जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन शामिल थे. कॉलेजियम ने मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल का तबादला मद्रास हाईकोर्ट करने की सिफारिश भी की थी.
ताहिलरमानी के अनुरोध के बाद भी कॉलेजियम 3 सितंबर को अपने फैसले पर टिका रहा. जस्टिस ताहिलरमानी के तबादले को लेकर चेन्नई सहित उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के वकीलों ने उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के फैसले का विरोध किया.
इसके बाद 12 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों के तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस वजहों पर आधारित होती है.
जस्टिस ताहिलरमाणी का नाम लिए बगैर ही उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस कलगांवकर के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि न्यायाधीशों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान हित में नहीं किया जाता लेकिन शीर्ष अदालत का कॉलेजियम, ऐसी परिस्थितियों में जहां यह जरूरी हो जाएगा, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचाएगा.
कॉलेजियम द्वारा अपने तबादले के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध खारिज किए जाने के बाद जस्टिस ताहिलरमानी ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था जिसकी एक प्रति प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को भी भेजी गई थी.
जस्टिस ताहिलरमानी हाईकोर्ट से तीन अक्टूबर, 2020 को रिटायर होने वाली थीं. उन्हें 26 जून 2001 को बॉम्बे हाईकोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर काम करते हुए जस्टिस ताहिलरमानी ने मई, 2017 में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सभी 11 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने इस मामले को गुजरात की अदालत से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया था.
इसके साथ ही उन्होंने महिला कैदियों को गर्भपात कराने का अधिकार देने जैसा महत्वपूर्ण फैसला दिया था. 2001 में बॉम्बे हाईकोर्ट की जज नियुक्त होने से पहले ताहिलरमानी महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील थीं.
ताहिलरमानी का इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल एकमात्र ऐसी महिला जज हैं जो किसी हाईकोर्ट का नेतृत्व कर रही हैं.