त्रिपुरा: गुटबाज़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रद्योत देबबर्मन ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ा

त्रिपुरा के राजपरिवार से आने वाले प्रद्योत देबबर्मन ने फरवरी में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला था. इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने कहा कि अब यह चिंता नहीं करनी होगी कि कौन-सा सहकर्मी धोखा देगा, किसी गुटबाज़ी में नहीं पड़ना होगा. भ्रष्ट लोगों को बड़े पद पर बैठाने के लिए 'हाई कमान' की नहीं सुननी होगी.

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प्रद्योत देब बर्मन. (फोटो साभार: ट्विटर)

त्रिपुरा के राजपरिवार से आने वाले प्रद्योत देबबर्मन ने फरवरी में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला था. इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने कहा कि अब यह चिंता नहीं करनी होगी कि कौन-सा सहकर्मी धोखा देगा, किसी गुटबाज़ी में नहीं पड़ना होगा. भ्रष्ट लोगों को बड़े पद पर बैठाने के लिए ‘हाई कमान’ की नहीं सुननी होगी.

प्रद्योत देब बर्मन (फोटो साभार: ट्विटर)
प्रद्योत देब बर्मन (फोटो साभार: ट्विटर)

अगरतला: त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर मानिक्य देबबर्मन ने अन्य कांग्रेस नेताओं से कोई समझौता करने से इनकार और राज्य में एनआरसी लागू करने की अपनी अर्जी को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.

देबबर्मन ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे बधारघाट विधानसभा उपचुनाव से पहले अपना इस्तीफा सार्वजनिक नहीं करने का अनुरोध किया था. सोमवार को बधारघाट निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुआ.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘मैंने कुछ दिन पहले पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. पार्टी आलाकमान ने मुझसे प्रदेश नेताओं के एक वर्ग के साथ समझौता कर लेने को कहा था लेकिन मैंने उनसे कहा कि यह संभव नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘तब उन्होंने मुझसे उस अर्जी को वापस ले लेने को कहा जिसे मैंने त्रिपुरा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के लिए दायर किया था, लेकिन मैं उस पर भी राजी नहीं हुआ.’

ट्विटर पर साझा किये एक पत्र में उन्होंने लिखा, ‘आज सुबह बहुत लंबे समय के बाद बिना किसी चिंता के उठा. मैंने दिन की शुरुआत बिना किसी अपराधी या झूठे की बात सुने बिना की. मुझे अब यह चिंता नहीं करनी होगी कि कौन-सा सहकर्मी मुझे धोखा देगा, किसी गुटबाजी या पीठ पीछे बुराई में नहीं पड़ना होगा. भ्रष्ट लोगों को बड़े पद पर बैठाने के लिए ‘हाई कमान’ की नहीं सुननी होगी.’

उन्होंने यह भी लिखा कि वे समाज के गलत लोगों को बड़े पदों पर नहीं बैठाना चाहते, जो राज्य को बर्बाद कर देंगे. उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने कोशिश की, लेकिन शायद मैं हार गया, लेकिन अगर मैं शुरू से ही इस लड़ाई में अकेला था तो इसे कैसे जीत सकता था.

देबबर्मन ने कहा, ‘वैसे तो मैंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है लेकिन मन से अब भी पार्टी के साथ हूं.’

उन्होंने कहा कि वह सुबाल भौमिक को त्रिपुरा कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से भी नाखुश हैं.

पूर्व कांग्रेस विधायक भौमिक विधानसभा चुनाव से पहले 18 फरवरी को प्रदेश पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में भाजपा में शामिल हो गये थे लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पूर्व पार्टी में लौट आये.

देबबर्मन बीर बिक्रम किशोर मानिक्य के पोते हैं जिन्होंने त्रिपुरा के राजा के रूप में शासन किया था. देबबर्मन को इस साल 25 फरवरी को त्रिपुरा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)