असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नया एनआरसी फिर से तैयार होगा, साथ ही नागरिकता संशोधन विधेयक को दोबारा संसद में पेश किया जाएगा.
करीमगंज: असम के वित्त, स्वास्थ्य एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार नवंबर में संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार संसद में यह विधेयक पेश करेगी. उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नया एनआरसी फिर से तैयार किया जाएगा.
एनआरसी के बारे में उन्होंने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी को इस पर भरोसा नहीं है क्योंकि जो हम चाहते थे उसके विपरीत हुआ. हम सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे कि भाजपा इस एनआरसी को खारिज करती है. यह असम के लोगों की पहचान का दस्तावेज नहीं है.’
शर्मा ने कहा कि लोगों को यह बताने के लिए सार्वजनिक सभा आयोजित की गई है कि पूर्वोत्तर में स्थानीय लोगों के हितों और मौजूदा कानूनों का संरक्षण किया जाएगा. केंद्र सरकार ने असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के स्थानीय लोगों हितों की सुरक्षा करने वाला विधेयक लाने का फैसला लिया है.
उन्होंने कहा, ‘हम इनर लाइन परमिट प्रणाली, छठी अनुसूची के प्रावधान का सम्मान करते हैं. हमें एक विधेयक की जरूरत है… हम घुसपैठ को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते. इसलिए हमें इस पर रोक लगाने वाले विधेयक की जरूरत है.
शर्मा पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के समन्वयक भी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसा विधेयक लाने का सोचा है, जो असम और पूर्वोत्तर के मूल निवासियों के हितों की रक्षा करे.
उन्होंने कहा, ‘लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि यह बिल उनकी संस्कृति, भाषा और विरासत के हित के खिलाफ है लेकिन वे बदनसीब लोगों को आश्रय दे रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसीलिए सरकार इस साल नवंबर में संसद नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेगी, जो बंगाली हिंदू, ईसाई, बौद्ध, सिख और जैन- जो 2014 से पहले देश में आये और भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं, को भारतीय नागरिकता देगा.’
शर्मा ने आश्वासन दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाएगी कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की संस्कृति, भाषा और विरासत सुरक्षित रहे.
मालूम हो कि इस साल की शुरुआत में लोकसभा में पेश हुए नागरिकता संशोधन विधेयक का असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में बड़ा विरोध हुआ था, लेकिन यह बिल राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था.
हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए जारी भाजपा के घोषणा पत्र में कहा गया था कि पार्टी की सत्ता वापसी पर बिल को वापस लाया जायेगा.
मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद कई नेता इसे वापस लाने की बात दोहरा चुके हैं. हाल ही में पूर्वोत्तर के दौरे पर गए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन वापस लाया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)