हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2017 में ही घोषणा कर दी थी कि उनका सूबा खुले में शौच से मुक्त हो चुका है.
हरियाणा के रोहतक जिले के बनियानी गांव की एक पहचान यह है कि यह सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गांव है. गांव के मुहाने पर पड़ने वाले तालाब के किनारे कुछ दूर चलने पर एक मोहल्ला है.
यहां रहने वाले लोगों का दावा है कि उनके यहां शौचालय अब तक नहीं बना है और उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है.
गांव के लोगों के दावे के विपरीत हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2017 में ही हरियाणा को खुले में शौच मुक्त होने की घोषणा कर चुके हैं.
इस मोहल्ले में सांसी जाति के लोग रहते हैं, इसलिए लोग इसे ‘सांसी मोहल्ला’ कहते हैं. यहां घरों में महिलाएं अपने कामकाज में व्यस्त नजर आ रही हैं.
मोहल्ले में एक कमरे के अपने मकान की चौखट पर नाहरी देवी बैठी थीं. नाहरी देवी से शौचालय के बारे में पूछने पर वह ठेठ हरियाणवी में जबाव देती हैं, ‘भाई हमारे यहां न है एक भी शौचालय. हम दस-बारह परिवार हैं और शौचालय सिर्फ एक के घर पर ही बनी हुई है. वह भी उसने अपने खुद के पैसे से बनवाई है. हम तो सब खुले में घूमने (शौच) जाते हैं बेटा. रात हो या दिन, हमें तो बीमारी में भी बाहर ही जाना पड़ता है.’
इतना कहकर नाहरी शांत हो गईं, हमसे बातें करते देख आसपास की कई महिलाएं वहां इकट्ठा हो गई थीं. इन महिलाओं में से एक अंगूरी देवी पूछती हैं, ‘आप शौचालय बनवाने के लिए आए हैं क्या? अगर आए हो तो बेटा हमारी भी बनवा दो. रात-बिरात बहुत दिक्कत होती है.’
हमने अंगूरी से पूछा, ‘क्या शौचालय निर्माण के लिए कोई अधिकारी या सरकारी आदमी आपके पास आया है अब तक?’ वह कहती हैं, ‘भाई एक बार एक आया तो था कुछ साल पहले. वो हमारे घरों की फोटो खींचकर ले गया था और कुछ कागजात भी. उसके बाद उसका कोई अता-पता नहीं. हम खुद कई बार सरपंच के पास भी जा चुके हैं, लेकिन उसने भी कोई समाधान नहीं करा.’
अंगूरी कहती हैं, ‘रे भाई! हमारी तो सुनने वाला कोई है नहीं. बाहर शौच जाते हैं तो लोग कई बार अपने खेतों से उठाकर भगा देते हैं. क्या करें बता. हमारे कौन-सा खेत हैं जो शौचालय न भी हो तो वहां ही चैन से घूम आएं.’
अंगूरी के आसपास खड़ी औरतों ने और वहां कई लोगों ने भी खेतिहरों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार के बारे में बताया.
पास खड़े सत्यवान बताते हैं, ‘जी, हमारे पास न तो शौचालय है और न खेत, जो हम बाहर खेतों में शौच के लिए जा पाएं. वहां भी हमें खेत मालिकों से चोरी-छिपे शौच जाना पड़ता है. अगर पकड़े जाते हैं तो लोग बहुत भला-बुरा कहते हैं. और एक बात, मेरे पास तो जी न कभी कोई अधिकारी आया है, न ही सरपंच.’
मोहल्ले में जो एक शौचालय बना हुआ है वह रानी देवी का है, जिसके लिए उन्हें आज तक पैसे नहीं मिले हैं. उनके शौचालय में नल टोंटी की व्यवस्था नहीं है.
सांसी मोहल्ले से लगे वाल्मीकि मोहल्ले में नीलम वाल्मीकि का घर है. घर के नाम पर एक कमरा है. उनके घर में भी शौचालय नहीं है.
पूछने पर वह कहती हैं, ‘मेरे यहां तो आज तक कोई नहीं आया है. एक बार मैंने सरपंच से भी बात की थी, लेकिन आगे कुछ हुआ नहीं. अभी मैं बीमार हूं, इस हाल में भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.’
नीलम की पड़ोसन बीरमति भी कहती हैं, ‘मेरे घर में भी कोई शौचालय नहीं है. कई दिनों से दुखी हूं बेटा. बुढ़ापे में हमें भी शौचालय बनवाने के पैसे मिल जाते तो अच्छा होता.’
बीरमति के घर से थोड़ा आगे ही नागजी वाल्मीकि का घर है. उन्हें शौचालय बनाने के सरकार से पैसा तो मिला है, लेकिन वे उस पैसे से उसका निर्माण पूरा नहीं करवा पाए हैं.
उनके शौचालय में न गेट लगा है और न ही उसकी पुताई हुई है। सिर्फ चिनाई हुई ईंटों के ढांचे के बीच एक टॉयलेट सीट लगी हुई है. गांव में करीब 40 घर वाल्मीकि समुदाय के लोगों के हैं, जिनमें अभी भी कई घरों में कोई शौचालय नहीं हैं.
इस संबंध में जब हमने रोहतक के एडीसी अजय कुमार से बात की तो उन्होंने गांव में लोगों के घर शौचालय न होने की बात को नकार दिया और बनियानी गांव को खुले में शौच मुक्त गांव ही बताया.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)