केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.
नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि पुलिस अत्याचार और हिरासत में मौत की तरह ही भारत की मानवाधिकार नीति को आतंकियों या नक्सलियों द्वारा मारे जाने वाले नागरिकों पर भी केंद्रित होना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘नक्सलियों या कश्मीर में आतंकियों द्वारा प्रभावित लोगों से अधिक किसी का भी मानवाधिकार उल्लंघन नहीं हो रहा है.’
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे शाह ने कहा कि मानवाधिकारों के पश्चिमी मानकों को भारतीय मुद्दों पर आंख बंद करके लागू नहीं किया जा सकता है.
जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों की पुष्टि करते हुए शाह ने कहा, ‘महिलाओं के पास शौचालय और खाना पकाने के सुरक्षित तरीके उपलब्ध नहीं होना मानवाधिकार का मुद्दा है. मोदी सरकार ने इन स्थितियों से लाखों व्यक्तियों के उत्थान को सुनिश्चित किया है.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक ऐसे परिदृश्य की ओर बढ़ रहा है, जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.
उन्होंने कहा, ‘भारत में मानव अधिकारों का एक अंतर्निर्मित ढांचा है. हमारे पारिवारिक मूल्यों में महिलाओं और बच्चों की विशेष सुरक्षा है और लोग अपना धर्म मानते हुए गरीबों की देखभाल करते हैं.’
इस दौरान एनएचआरसी के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि आयोग के काम को पूरा करने में सरकार ने आयोग को समर्थन दिया. गृह मंत्री की उपस्थिति एनएचआरसी को प्रोत्साहित करने का एक उदाहरण है.
दत्तू ने कहा कि एनएचआरसी ने बंधुआ मजदूरी और हिरासत में हुई मौतों से संबंधित मुद्दों से निपटकर अपने काम को पूरा किया है.
आयोग के अनुसार, 2018-19 में पुराने कानूनी मामलों का बोझ काफी कम हो गया है और केवल 2017 के बाद दर्ज किए गए मामले वर्तमान में लंबित हैं. इसमें कहा गया कि एनएचआरसी ने 691 मामलों की सुनवाई की और फैसला किया और 25.38 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया.
पुराने कानूनी मामलों को कम करने का श्रेय दत्तू ने एनएचआरसी के महानिदेशक (जांच) प्रभात सिंह को दिया, जिन्हें इस साल जनवरी में नियुक्त किया गया.