जेएनयू प्रशासन ने छात्र संघ को ऑफिस खाली करने को कहा, जेएनयूएसयू ने किया इनकार

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन का कहना है कि चुनाव में लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करने की वजह से अब तक यूनियन अधिसूचित नहीं हुई है. वहीं, छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि 8500 स्टूडेंट्स की यूनियन की आवाज को इस तरह प्रशासन बंद नहीं कर सकता.

जेएनयूएसयू प्रेसिडेंट आईशी घोष (पीले कपड़े में) और उपाध्यक्ष साकेत मून. (बाएं से दाएं.) (फोटो: ट्विटर)

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन का कहना है कि चुनाव में लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करने की वजह से अब तक यूनियन अधिसूचित नहीं हुई है. वहीं, छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि 8500 स्टूडेंट्स की यूनियन की आवाज को इस तरह प्रशासन बंद नहीं कर सकता.

जेएनयूएसयू प्रेसिडेंट आईशी घोष (पीले कपड़े में) और उपाध्यक्ष साकेत मून. (बाएं से दाएं.) (फोटो: ट्विटर)
जेएनयूएसयू प्रेसिडेंट आईशी घोष (पीले कपड़े में) और उपाध्यक्ष साकेत मून. (बाएं से दाएं.) (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में प्रशासन और स्टूडेंट्स यूनियन एक बार फिर आमने-सामने हैं. इस बार यूनियन ही मुद्दा है. जेएनयू प्रशासन ने अब जेएनयूएसयू को उनका ऑफिस खाली करने के लिए नोटिस दिया है.

प्रशासन का कहना है कि चुनाव में लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करने की वजह से अब तक यूनियन अधिसूचित (नोटिफाई) नहीं हुई है. प्रशासन ने इसके लिए बुधवार शाम 5 बजे तक का वक्त दिया था मगर स्टूडेंट्स की भीड़ कमरे के बाहर जम गई. शाम को ताला लगाने के इरादे से प्रशासन के लोग पहुंचे मगर भीड़ ने ऐसा नहीं होने दिया.

यूनियन की प्रेजिडेंट आईशी घोष ने कहा कि 8500 स्टूडेंट्स की यूनियन की आवाज को इस तरह प्रशासन बंद नहीं कर सकता.

जेएनयू के डीन-स्टूडेंट्स प्रो. उमेश कदम की ओर से 15 अक्टूबर को नोटिस जारी किया गया है कि एक कमरा जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन को स्टूडेंट्स एक्टिविटी सेंटर में दिया गया है. कमरे का गलत इस्तेमाल ना हो, इसलिए तय किया गया है कि जब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं होता, तब तक कमरा लॉक रखा जाएगा. नोटिफिकेशन आने के बाद यह यूनियन को दे दिया जाएगा.

एनडीटीवी के अनुसार, जेएनयूएसयू ने कहा, जेएनयू प्रशासन एक बार फिर पुराने पैंतरे अपनाने लगा है. इस तरह का कदम उठाना जेएनयू या किसी अन्य विश्वविद्यालय के इतिहास में किसी भी प्रशासन के लिए सबसे निचले स्तर का काम है.

उन्होंने कहा, टेफ्लस में स्थित कार्यालय डीन-स्टूडेंट्स की एक निजी संपत्ति नहीं है और हमारे समुदाय के प्रतिनिधित्व के अधिकार का प्रतीक है. हम छात्र समुदाय से साथ आने और जेएनयू प्रशासन के इस तानाशाही भरे कदम का विरोध करने की अपील करते हैं.

बता दें कि, सितंबर महीने में हुए जेएनयूएसयू के चुनाव में वाम दलों के संयुक्त मोर्चे ने सभी चारों पदों पर जीत हासिल की थी. एसएफआई की आईशी घोष को अध्यक्ष चुना गया था.

छात्र संघ चुनाव परिणामों की घोषणा की अनुमति देने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा ने विश्वविद्यालय को लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुरूप  चुनाव परिणामों को अधिसूचित करने की भी अनुमति दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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