इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, सिक्किम, मेघालय, मिज़ोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
अरुणाचल प्रदेश: चकमा-हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता देने पर तेज़ हुआ आपसू का विरोध
जहां एक तरफ नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले चकमा-हाजोंग शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की ओर काम किया जा रहा है, वही लंबे समय से इसके ख़िलाफ़ रहे ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) का विरोध तेज़ हो गया है.
केंद्र सरकार के फैसले को ‘हास्यास्पद और राज्य के लोगों का अपमान’ बताते हुए आपसू के उपाध्यक्ष तोबोम दाई ने ईटानगर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘पहले दिन से ही यूनियन का नजरिया इस पर साफ है और हम किसी को इस तरह हमारी उम्मीदें नहीं रौंदने देंगे. दाई ने यह भी बताया कि जल्द ही यूनियन पुराने नेताओं, सामुदायिक संगठनों और एनजीओ के साथ मिलकर एक संयुक्त बैठक करके इस मुद्दे से लड़ने की रणनीति तय करेगा.
चकमा-हाजोंग शरणार्थी वर्तमान बांग्लादेश की चटगांव पहाड़ियों के रहने वाले हैं, जो 1960 में कपताई बांध योजना में अपनी ज़मीनें खोने के बाद भारत आकर बस गए थे. उस समय वे मिज़ोरम के रास्ते भारत पहुंचे थे, जो उस समय असम का लुशाई हिल ज़िला हुआ करता था.
1964 से 1969 के बीच केंद्र सरकार ने इन शरणार्थियों (जिनकी संख्या शायद उस समय करीब 5,000 थी) को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी में पहुंचाया, जिसके बाद यह अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा बने. जहां चकमा लोग बौद्ध हैं, वहीं हाजोंग हिंदू हैं.
अरुणाचल प्रदेश में चकमा और हाजोंग लोगों के नागरिकता अधिकारों के बारे काम करने वाली कमेटी (सीसीआरसीएचएपी) की एक याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में केंद्र को तीन महीनों के अंदर उन्हें नागरिकता का अधिकार देने का आदेश दिया था.
हालांकि केवल आपसू ही नहीं बल्कि राज्य सरकार भी केंद्र सरकार द्वारा चकमा-हाजोंग को नागरिकता देने के फैसले के ख़िलाफ़ थी. उनका कहना था कि इस तरह तो स्वदेशी यानी राज्य के लोग अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ जाएंगे. इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 में दिए गए इस आदेश के ख़िलाफ़ अपील की थी, जिसके बाद इस मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार में बातचीत शुरू हुई.
वर्तमान में राज्य में चकमा और हाजोंग की जनसंख्या तकरीबन एक लाख है.
हाल ही में आई मीडिया रिपोर्टों की मानें तो गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि राज्य और केंद्र सरकार में बातचीत जारी है और चकमा और हाजोंग समुदाय को नागरिकता अधिकार देने से उन्हें वे अधिकार नहीं मिलेंगे जो राज्य की अनुसूचित जनजाति को मिले हुए हैं जैसे ज़मीन के स्वामित्व के अधिकार.
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक केंद्र शरणार्थियों के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ जैसी कोई व्यवस्था लाने की भी सोच रहा है, जिससे वे यहां रह सकते हैं, काम कर सकते हैं पर ज़मीन के स्वामित्व जैसे अधिकार उन्हें नहीं मिलेंगे. पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल ने इस मुद्दे पर राज्य से फौरन केंद्र के साथ चर्चा करने को कहा है.
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी इस फैसले का विरोध किया था. नई दिल्ली में 24 मई को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में सीसीआरसीएचएपी ने बताया कि उन्होंने अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तकाम संजॉय को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने चकमा-हाजोंग समुदाय को नागरिकता देने पर हो रहे विरोध को लेकर चिंता जताई है.
सीसीआरसीएचएपी के उपाध्यक्ष संतोष चमका ने बताया कि उन्होंने संजॉय से अनुरोध किया है कि राज्य में रहने वाले चकमा और हाजोंग समुदायों को नागरिकता देने के फैसले पर कांग्रेस की पिछली केंद्र सरकारों के लगातार समर्थन का सम्मान करें.
उनके पत्र में लिखा है, ‘1972, 1982, 1992 और 1994 में केंद्र में लगातार रही कांग्रेस सरकार ने हमेशा अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले चकमा और हाजोंग समुदाय को नागरिकता देने की बात की पैरवी की थी. हम उम्मीद करते हैं कि अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी पिछली सरकारों के इस फैसले का सम्मान करेगी.’
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नगालैंड: पिता के लिए जगह बनाने के लिए मुख्यमंत्री के बेटे ने छोड़ी अपनी विधानसभा सीट
नगालैंड के मुख्यमंत्री शुरहोज़ेले लिजित्सू के बेटे ख्रेइहू लिजित्सू ने 24 मई को अपनी उत्तरी अंगामी की विधानसभा सीट छोड़ दी, जिससे उस सीट से उनके पिता विधायक बन सकें.
बीती फरवरी में शहरी निकाय चुनावों में महिलाओं को आरक्षण देने के फैसले को रोकने पर हुए विवाद के बाद टीआर जेलियांग के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के अध्यक्ष 81 साल के शुरहोज़ेले लिजित्सू ने राज्य की कमान संभाली थी.
लिजित्सू 60 सीटों वाली विधानसभा के सदस्य नहीं हैं पर 6 महीनों के अंदर उन्हें चुनाव में हिस्सा लेकर विधानसभा पहुंचना होगा. ख्रेइहू के इस्तीफे के बाद ये साफ हो गया है कि वे उपचुनाव में उनकी सीट से मैदान में उतरेंगे. नगालैंड के वरिष्ठ नेता रहे शुरहोज़ेले लिजित्सू उत्तरी अंगामी से आठ बार जीते हैं. 2013 में इस सीट से उनके बेटे ने एनपीएफ के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था.
24 मई को ही विधानसभा द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया कि विधानसभा के स्पीकर में ख्रेइहू का इस्तीफा मंज़ूर कर लिया है.
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मणिपुर: बिशेनपुर ज़िले में वॉर म्यूजियम बनाएगा जापान
हाल ही में भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने दिल्ली में घोषणा की कि जापान मणिपुर के बिशेनपुर ज़िले के मैबम लोकपा चिंग में वॉर म्यूजियम बनाएगा.
मैबम लोकपा चिंग वही जगह है जहां दूसरे विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश और जापानी एक-दूसरे से लड़े थे. बताया जाता है कि उस युद्ध में तकरीबन 30,000 जापानी सैनिक मारे गए थे, वहीं कोहिमा में भी एक सैनिक की जान गई थी. कोहिमा युद्ध को ब्रिटिश सरकार द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के समय लड़ी गई सबसे हिंसक लड़ाई माना जाता है.
18 मई को डिपार्टमेंट ऑफ नॉर्थ ईस्ट रीजन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह से हुई एक बैठक में जापानी राजदूत हिरामात्सु ने वॉर म्यूजियम बनवाने के अलावा नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में उनकी सरकार द्वारा निवेश करने की भी इच्छा ज़ाहिर की. उन्होंने कहा जिन इलाकों में जापानी सरकार निवेश करना चाहती है, उनमें असम और नगालैंड प्रमुख हैं.
इसके अलावा हिरामात्सु ने मणिपुर और नगालैंड दोनों के लोगों से उस समय मारे गए जापानी सैनिकों के शव के अवशेष ढूंढने में सहयोग करने की गुज़ारिश की. उन्होंने यह भी बताया कि जापान सरकार जल्द ही मणिपुर और नगालैंड के 25 युवाओं को जापान आमंत्रित करेगी.
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मिज़ोरम: स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे तंबाकू-निषेध से जुड़े सबक
मिज़ोरम में तंबाकू सेवन की लगातार बढ़ती दर को रोकने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने अगले अकादमिक सत्र से माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में तंबाकू निषेध से जुड़े पाठ शामिल किए जाने का निर्णय लिया है.
ये निर्णय सरकार की नई आर्थिक विकास नीति का हिस्सा है, जिसके अनुसार तंबाकू और ड्रग्स के सेवन से जुड़े खतरों को जितना जल्दी हो सके रोकने की योजना बनाई जा रही है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक इसकी शुरुआत सबसे पहले आइज़ोल ज़िले के 50 माध्यमिक स्कूलों से की जाएगी.
पिछले साल नवंबर में जारी ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, मिज़ोरम में 67.2 फीसदी लोग विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन करते हैं, जो भारत में सबसे ज़्यादा है. राज्य में अधिकांश लोग तंबाकू सिगरेट या बीड़ी के रूप में लेते हैं, पर उन लोगों की संख्या कहीं ज़्यादा है जो खैनी, ज़र्दा या गुटखे के रूप में तंबाकू लेते हैं. इससे पहले 2009-10 में आई ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू सेवन करने वाले लोग इसकी शुरुआत 15 साल की उम्र से पहले ही कर देते हैं.
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार कुछ साल पहले मिज़ोरम राज्य तंबाकू नियंत्रण सोसाइटी ने एक सर्वे में पाया था कि राज्य में हाईस्कूल के 54 प्रतिशत छात्र तंबाकू का सेवन करते हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही है.
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मिज़ोरम: म्यांमार से सीमा पार कर पहुंचे 280 से अधिक शरणार्थी
म्यांमार के अराकान से महिलाओं एवं बच्चों समेत करीब 280 से अधिक शरणार्थियों ने सुदूर दक्षिणवर्ती मिज़ोरम के सियाहा जिला स्थित दो गांवों में शरण ली है. पुलिस के एक अधिकारी ने 22 मई को बताया कि 200 से अधिक लोगों ने लुंगपुक गांव में और 77 अन्य ने खलखी गांव में शरण ले रखी है.
अधिकारी ने बताया कि सीमाई इलाकों में तैनात असम राइफल्स और जिला प्रशासन इन शरणार्थियों को आवश्यक सहायता मुहैया करा रहे हैं जबकि दोनों गांवों के ग्रामीणों ने उनके खाने और रहने का बंदोबस्त किया है. अधिकारी ने यह भी बताया कि सियाहा जिला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पहले ही लुंगपुक गांव पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायज़ा ले चुके हैं.
इसके अलावा यह भी बताया गया कि असम राइफल्स के सेना अधिकारियों को सूचित करके शरणार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है.
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मेघालय: भाजपा ने कहा कि पशुवध पर नए नियम से तस्करी पर रोक लगेगी
मेघालय में भाजपा ने रविवार को कहा कि मवेशी बाजारों में वध के लिए पशुओं की बिक्री पर ताजा प्रतिबंध से बांग्लादेश को होने वाली तस्करी पर रोक लगेगी. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शिबुन लिंगदोह ने कहा, ‘राज्य में बड़े स्तर पर मवेशियों की तस्करी का रैकेट चल रहा है जिससे बीफ के दाम आसमान छू रहे हैं.’
वहीं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और प्रवक्ता जेए लिंगदोह ने कहा, पशु और पशुवध का मामला फिर से उठ गया है और लोगों को डर है कि क्या उनके खान-पान की आदतों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, हमने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है और पार्टी नेता नलिन कोहली से भी आग्रह किया है कि वह ये डर दूर करने के लिए केंद्र के साथ इस मुद्दे को उठाएं.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र की अधिसूचना ऐसे समय में समस्या खत्म करने और पशु पालन बढ़ाने के लिए है, जब राज्य जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है.
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सिक्किम: विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़ाने पर हो रहा विचार
सिक्किम विधानसभा में सीटों की संख्या 32 से बढ़ाकर 40 करने के एक प्रस्ताव पर केंद्र सरकार विचार कर रही है. सरकार ने विभिन्न हितधारकों से मसौदा योजना पर राय और सुझाव मांगे हैं.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सिक्किम विधानसभा की सीटों की संख्या मौजूदा 32 से बढ़ाकर 40 की जा सकती है.
प्रस्ताव में लिंबू और तमांग समुदाय के लिए पांच विधानसभा सीटें, भूटिया-लेपचा समुदाय के लिए 12 सीटें, अनुसूचित जाति के लिए दो, सांघा के लिए एक सीट आरक्षित करने का प्रावधान है जबकि 20 सीटें सामान्य रहेंगी.
गृह मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा, मसौदा प्रस्ताव पर संबद्ध हितधारकों से सुझाव और राय 26 जून 2017 तक आमंत्रित किए गए हैं.
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नगालैंड: विधानसभा में जीएसटी विधेयक पारित
नगालैंड विधानसभा ने 27 मई को देश के बाकी राज्यों की तर्ज पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को मंजूरी दे दी है. सदन के विशेष सत्र में विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया.
मुख्यमंत्री डॉ. शुरहोज़ेले लिजित्सू ने यह विधेयक पेश किया. ज्ञात हो कि राज्य में वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी मुख्यमंत्री के पास है. विधेयक पेश करने से पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए सड़क और सेतु मंत्री वाई वीखेहो स्वू ने विधायकों को राज्य में जीएसटी लागू करने से होने वाले फायदों से अवगत कराया.
उन्होंने कहा, सही तरीके से लागू किए जाने पर जीएसटी से राज्य में कई फायदे आएंगे. इसमें उद्योग एवं व्यापार के फायदे के साथ ही उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा. साथ ही राज्य में राजस्व सृजन भी होगा.
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असम: प्रधानमंत्री ने गुवाहाटी एम्स की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई को असम के कामरूप जिले के चांगसारी में बनने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गुवाहाटी की आधारशिला रखी. गुवाहाटी एम्स का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 1,123 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से होगा .
प्रधानमंत्री ने 26 मई की शाम सरूसजय स्टेडियम में एम्स की आधारशिला रखी, लेकिन इस अवसर पर बोला कुछ नहीं. इस समारोह में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा के साथ अनुप्रिया पटेल भी मौजूद थीं.
इससे पहले प्रधानमंत्री लोहित नदी पर बने देश के सबसे बड़े ढोला-सदिया पुल का उद्घाटन और धेमाजी जिले के गोगामुख में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखने के बाद डिब्रूगढ़ में एम्स की आधारशिला रखने पहुंचे थे.
(संगीता बरूआ पिशारोती के सहयोग और समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)