दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स ने अमेरिकी सदन में कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गो-रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रदत्त कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं हैं.
वाशिंगटन: अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गो रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रदत्त कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं हैं. अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कांग्रेस की उप समिति को यह कहा है.
दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमरीका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस जी. वेल्स ने कहा कि भारत के साथ साझेदारी पर अमेरिका को गर्व है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष देश को सभी नागरिकों के अधिकार बरकरार रखना चाहिए ताकि वह अपने धर्म का आजादी के साथ पालन कर सकें, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो और कानून के दायरे में सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता हो.
एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार पर सदन की विदेश मामलों की समिति की उपसमिति में वेल्स ने कहा, ‘भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गो रक्षकों द्वारा दलित और मुस्लिम समुदाय के लेागों के खिलाफ हमले, नौ राज्यों में धर्म परिवर्तन निरोधी कानून का होना आदि अल्पसंख्यकों के लिए भारत की कानूनी संरक्षण व्यवस्था का विरोधाभासी है.’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत की सरकार कहा है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकार को पूरी तरह कायम रखे और अति संवेदनशील लोगों की रक्षा करे. इनमें असम के वह 19 लाख लोग भी शामिल हैं जिनकी नागरिकता को लेकर सवाल उठने की वजह से उन्हें राज्य से हटाए जाने का खतरा मंडरा रहा है. साथ ही अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह हिंसा की सभी घटनाओं की निंदा करे और उन्हें अंजाम देने वालों को जवाबदेह ठहराए.
वेल्स ने कहा कि बीते मई माह में ऐतिहासिक चुनाव में 68 फीसदी योग्य मतदाताओं ने मतदान किया था. इसमें हर धर्म, जाति, पंथ तथा सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे. इसमें रिकॉर्ड संख्या में महिला मतदाता भी थीं.
उन्होंने भारत की विविधता और अमेरिका के साथ उसकी बढ़ती रणनीतिक साझेदारी की तारीफ भी की.
अमेरिका ने कहा- पाक में मानवाधिकार उल्लंघनों, धार्मिक भेदभाव की खबरों से बेहद चिंतित
पाकिस्तान में नागरिक समाज और मीडिया स्वतंत्रता के सीमित किए जा रहे दायरे को ‘चिंताजनक’ बताते हुए अमेरिका ने कहा है कि वह देश में मानवाधिकार उल्लंघनों और लोगों के साथ धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव से ‘बहुत चिंतित’ हैं.
अमेरिका ने पाकिस्तान सरकार से विधि का शासन और देश के संविधान में निहित स्वतंत्रता को बरकरार रखने की अपील की है.
दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश सचिव एलिस जे वेल्स ने एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार पर सदन की विदेश मामलों की समिति की उपसमिति के लिए तैयार किए गए एक बयान में उम्मीद जताई कि मौजूदा आईएमएफ योजना के तहत पाकिस्तान जो सुधार कर रहा है, वे बेहतर आर्थिक प्रबंधन एवं विकास की नींव रखेंगे जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं मानवाधिकार स्थिति में सुधार होगा.
उन्होंने कहा, ‘हाल के कुछ वर्षों में, हमने पाकिस्तान में कुछ चिंताजनक चलन देखे हैं जिनमें नागरिक समाज और मीडिया स्वतंत्रता का सीमित किया जा रहा दायरा भी शामिल है. मीडिया और नागरिक समाज पर उत्पीड़न, धमकियां और वित्तीय एवं नियामक कार्रवाई करने जैसे दबाव पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं.’
वेल्स ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान सरकार से विधि का शासन बरकरार रखने की अपील करता है.
उन्होंने कहा कि इसमें उन समूहों के शांतिपूर्ण एकत्रित होने के अधिकार भी शामिल हैं जो नेतृत्व एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान की आलोचना करते हैं जैसे पश्तून तहाफुज आंदोलन.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)