एनआरसी का ऑडिट पूरा होने तक प्रतीक हजेला का पासपोर्ट ज़ब्त रखा जाए: एपीडब्ल्यू संगठन

असम पब्लिक वर्क (एपीडब्ल्यू) नामक संगठन के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि सरकार पर यह पता लगाने की बड़ी ज़िम्मेदारी है कि एक अधिकारी जिसने 1,600 करोड़ रुपये का सरकारी धन ख़र्च किया हो, वह ख़र्च की विस्तृत रिपोर्ट जमा किए बिना कैसे असम छोड़ सकता है.

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प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक)

असम पब्लिक वर्क (एपीडब्ल्यू) नामक संगठन के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि सरकार पर यह पता लगाने की बड़ी ज़िम्मेदारी है कि एक अधिकारी जिसने 1,600 करोड़ रुपये का सरकारी धन ख़र्च किया हो, वह ख़र्च की विस्तृत रिपोर्ट जमा किए बिना कैसे असम छोड़ सकता है.

प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक)
प्रतीक हजेला. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुवाहाटी: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में अद्यतन की मांग करने वाले मूल याचिकाकर्ता ने मंगलवार को सरकार से अपील की कि जब तक एनआरसी की पूरी प्रक्रिया का ऑडिट संपन्न नहीं हो जाता, तब तक के लिए एनआरसी के असम राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए.

उच्चतम न्यायालय ने बीते 18 अक्टूबर को केंद्र और असम सरकार को निर्देश दिया था कि एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला का तबादला अधिकतम अवधि के लिए मध्य प्रदेश कर दिया जाए.

हालांकि न्यायालय ने तबादला करने का स्पष्ट कारण नहीं दिया था, लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि प्रतीक हजेला की जान को खतरा है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सात दिन के भीतर प्रतीक हजेला के तबादले का नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है.

‘असम पब्लिक वर्क्स’ (एपीडब्ल्यू) नामक संगठन के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एक बयान में कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए हजेला एनआरसी प्रक्रिया की लेखा जांच पूरी होने तक देश से बाहर न जा पाएं.

शर्मा ने कहा कि सरकार पर यह पता लगाने की बड़ी जिम्मेदारी है कि एक अधिकारी जिसने 1,600 करोड़ रुपये का सरकारी धन खर्च किया हो, वह खर्च की विस्तृत रिपोर्ट जमा किए बिना कैसे असम छोड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि एनआरसी एक ऐसी प्रक्रिया थी जिस पर असम के लोगों ने भरोसा जताया था लेकिन इसकी अंतिम सूची खामियों से भरी हुई थी और इसने अनेक लोगों का दिल तोड़ दिया है.

असम की बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर अंतिम रूप मिलने के बाद 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी और इससे राज्य में 19 लाख से अधिक आवेदकों के नाम बाहर कर दिए गए थे.

एनआरसी में नाम शामिल करने के लिए 3,30,27,661 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. इनमें से 19,06,657 लोग इस सूची से बाहर हो गए.

एपीडब्ल्यू अध्यक्ष ने कहा कि एनआरसी के राज्य समन्वयक ने कुछ दस्तावेज जमा करते हुए न्यायालय को बताया था कि उनकी जान को खतरा है.

उन्होंने कहा, ‘हम वास्तव में उनके तबादले के तत्काल आदेश को समझ नहीं पा रहे हैं. हमें आश्चर्य हो रहा है क्योंकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी संगठन या विभाग को आदेश जारी क्यों नहीं किया गया है.’

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी अपडेट को लेकर मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि एनआरसी ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा क्योंकि इसे पुन:सत्यापित करने की उसकी मांग शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी. एपीडब्ल्यू की याचिका पर ही छह साल पहले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी.

प्रतीक हजेला असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्‍हें असम में एनआरसी की पूरी प्रक्रिया के पर्यवेक्षण की जिम्‍मेदारी दी गई थी. 31 अगस्‍त को जारी एनआरसी की अंतिम सूची में कथित विसंगतियों के कारण पिछले महीने हजेला के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)