अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार कश्मीर का दौरा करेगा विदेशी सांसदों का समूह

कश्मीर जाने वाले 27 यूरोपीय सांसदों में से अधिकतर दक्षिणपंथी दलों से जुड़े हुए हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार ने अब तक किसी भी विदेशी पत्रकार, अधिकारी या राजनयिक को जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी है.

The Members of European Parliament, calling on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, at 7, Lok Kalyan Marg, New Delhi on October 28, 2019.

कश्मीर जाने वाले 27 यूरोपीय सांसदों में से अधिकतर दक्षिणपंथी दलों से जुड़े हुए हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार ने अब तक किसी भी विदेशी पत्रकार, अधिकारी या राजनयिक को जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी है.

The Members of European Parliament, calling on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, at 7, Lok Kalyan Marg, New Delhi on October 28, 2019.
यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद विदेशी सांसदों के किसी समूह के पहले कश्मीर दौरे के तहत 27 यूरोपीय सांसदों का एक दल मंगलवार को वहां की यात्रा करेगा.

घाटी की स्थिति के बारे में कथित पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए इसे सरकार की एक प्रमुख कूटनीतिक पहल माना जा रहा है, जिसके तहत इन नेताओं को ‘स्वयं ही चीजों को देखने’ की अनुमति दी गई है. कश्मीर का दौरा करने वाले इन नेताओं में से अधिकतर लोग दक्षिणपंथी दल से हैं.

भारत में यूरोपीय संघ के कार्यालय के अनुसार, यह यात्रा यूरोपीय संसद की आधिकारिक यात्रा नहीं है. भारत के यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि भी यात्रा के संगठन में शामिल नहीं हुए हैं और यूरोपीय संसद के सदस्य ‘निजी स्तर’ पर यात्रा कर रहे हैं.

विदेश मंत्रालय इस यात्रा के आयोजन में सीधे तौर पर शामिल होता दिखाई नहीं दे रहा है. भारतीय मिशन भी इसमें शामिल नहीं है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि इनके टिकट एक ब्रिटिश थिंक-टैंक ‘डब्ल्यूइएसटीटी’ द्वारा स्पॉन्सर किए गए हैं, जो एक ब्रिटिश-भारतीय व्यवसायी मादी शर्मा द्वारा संचालित किया जाता है. हालांकि अभी इस जानकारी की पुष्टि नहीं की जा सकी है.

सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्रालय इस यात्रा का मुख्य आयोजक नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत कराने में शामिल है.

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यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन और उसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि आतंकवाद के संबंध में कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को इन सांसदों को पाकिस्तान से पनपने वाले सीमा पार आतंकवाद, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के दर्जे में किए गए संवैधानिक बदलाव और घाटी की स्थिति से अवगत कराया.

डोभाल ने यूरोपीय सांसदों के लिए लंच भी आयोजित किया. इसमें कुछ कश्मीरी नेता भी शामिल हुए, जिनमें जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग, पूर्व पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी, राज्य में प्रखंड विकास परिषद (बीडीसी) के कुछ नव-निर्वाचित सदस्य और रीयल कश्मीर फुटबॉल क्लब के सह-मालिक संदीप चट्टू भी शामिल थे.

अगस्त में सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में किसी विदेशी समूह की यह पहली यात्रा है. यह यात्रा कश्मीर की स्थिति पर यूरोपीय संसद में हुई बहस के कुछ हफ्ते बाद हो रही है, जिसमें वहां की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई थी.

सूत्रों के अनुसार, यह समूह जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात करेगा. दो दिवसीय यात्रा के दौरान, वे राज्यपाल से भी मुलाकात कर सकते हैं. उनके मीडिया के साथ बातचीत करने की भी संभावना है.

प्रतिनिधिमंडल में इटली के फुल्वियो मार्तुसिएलो, ब्रिटेन के डेविड रिचर्ड बुल, इटली की जियाना गैंसिया, फ्रांस की जूली लेंचेक, चेक गणराज्य के टामस डेकोवस्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के निकोलस फेस्ट शामिल हैं.

डेकोवस्की ने कहा, ‘यह (अनुच्छेद 370 का हटाया जाना) भारत का आंतरिक मामला है क्योंकि कश्मीर इसका हिस्सा है. यह भारत सरकार का विशेषाधिकार है कि वह आंतरिक फैसला करे. हम इस पर भारत के साथ हैं.’

डेकोवस्की ने पिछले महीने यूरोपीय संसद के मासिक समाचार पत्र में अपने एक लेख में कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से कश्मीर में सक्रिय कई आतंकवादी संगठनों को जड़ से उखाड़ने में मदद मिलेगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)