दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई 500 पहुंचा, बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक प्रयासों की ज़रूरत

दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाना एक बड़ा कारण है, लेकिन लगभग 75% प्रदूषण दिल्ली के भीतर परिवहन, कचरा जलाना और निर्माण से उत्पन्न होता है. इसके साथ ही बिजली संयंत्र, हरियाणा-पंजाब क्षेत्र में भारी उद्योग से बढ़ते उत्सर्जन को रोकने में विफलता भी बढ़ते वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारण हैं.

दिल्ली: सोनम वांगचुक और मार्च करने वालों को देर रात रिहाई मिली, उपवास ख़त्म किया

बुधवार को रात दस बजे भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य पदयात्रियों को रिहा कर दिया. राजघाट पर वांगचुक ने कहा कि उनकी मांगों पर गृह मंत्रालय ने उन्हें गारंटी दी है कि वे प्रधानमंत्री सहित नेताओं से मिल सकेंगे. इसलिए वे इस गारंटी पर अपना उपवास तोड़ रहे हैं. 

लद्दाख: सोनम वांगचुक को गुमनाम ‘शुभचिंतक’ ने दी सरकारी जांच की चेतावनी

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने, छठी अनुसूची में शामिल करने और नाज़ुक हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए विरोध कर रहे एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने कहा कि उन्हें मिले एक गुमनाम पत्र में कहा गया कि ‘एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग’ ने उनके संस्थान की बैंक डिटेल्स ली हैं, साथ ही ख़ुद को सोनम का 'शुभचिंतक' बताने वाले एक अन्य शख़्स ने उन्हें जान के संभावित ख़तरों को लेकर चेताया.

हम शांतिपूर्ण मार्च चाहते थे, लेकिन लेह को सरकार ने युद्धक्षेत्र में बदला: सोनम वांगचुक

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख के नागरिक रविवार को लेह से चांगथंग तक के लिए एक मार्च निकालने वाले थे, जिसे 'पश्मीना मार्च' नाम दिया गया था. हालांकि, इसे मोदी सरकार द्वारा धारा 144 लगाने समेत अन्य कड़े कदम उठाए जाने के चलते रद्द कर दिया गया.

वन संशोधन अधिनियम: आरटीआई से खुलासा- केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की अनदेखी की

शीर्ष अदालत ने 2011 के एक फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि वन संबंधी 1996 के उसके फैसले का पालन किया जाए और राज्य 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के तहत सभी वनों का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए ‘भू-संदर्भित जिला वन-मानचित्र’ तैयार करें. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा इन दोनों निर्णयों का पालन नहीं किया गया है.

पर्यावरणविदों ने ग्रेट निकोबार द्वीप मेगा प्रोजेक्ट पर एनजीटी के रुख़ को निराशाजनक बताया

ग्रेट निकोबार द्वीप में 72,000 करोड़ रुपये की मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए दी गई वन और पर्यावरण मंज़ूरी में हस्तक्षेप करने से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इनकार कर दिया है. परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों का कहना है कि यह स्थानीय समुदायों को प्रभावित करेगी और द्वीप की नाज़ुक पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगी.