पिछले दशक में चीन दुनिया के प्रमुख मसलों को सुलझाने के लिए आगे आया है. यह रणनीति चीन को अमेरिका के बरअक्स स्थापित कर रही है, और उसे अफ्रीका व एशिया के उन देशों का समर्थन भी दिला रही है जो अमेरिका और पश्चिम से सशंकित रहते हैं.
'रावण ने सीता का अपहरण भेष बदलकर किया था. मुसलमान जब मुस्लिम बस्ती में अपने होटल चलाते हैं, उसका नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखते.'
पढ़िए रासुका के तहत जेल जा चुके मुज़फ़्फ़रनगर के यशवीर महाराज का साक्षात्कार.
परीक्षा केंद्रों पर सामूहिक नकल का माहौल था. पर्यवेक्षक कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे. कहीं से नहीं लग रहा था कि भारत सरकार की प्रमुख वैज्ञानिक संस्था में भर्ती की परीक्षा हो रही है. गुजरात की कंपनी एडुटेस्ट द्वारा आयोजित परीक्षाओं पर पढ़ें द वायर हिंदी की पड़ताल की तीसरी क़िस्त.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और अखिल भारतीय किसान सभा के नेता अमरा राम राजस्थान की सीकर लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं. उनका कहना है कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में धर्म और जाति की राजनीति चल रही है और इसका खामियाज़ा वो भुगत रहे हैं जो वंचितों की बात करना चाहते हैं.
अहमदाबाद की एडुटेस्ट कंपनी को यूपी सरकार ने ब्लैकलिस्ट किया है, पर यह अब पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले सीएसआईआर में भर्ती की परीक्षा का दूसरा चरण आयोजित कर रही है. इसी परीक्षा के कुछ अभ्यर्थी पहले चरण के दौरान हुई नकल के आरोप में जेल में हैं. द वायर हिंदी की ख़ास पड़ताल की दूसरी क़िस्त.
एडुटेस्ट के संस्थापक सुरेशचंद्र आर्य एक हिंदू संगठन के अध्यक्ष हैं, उनके कार्यक्रमों में मोदी शामिल होते हैं. कंपनी के प्रबंध निदेशक विनीत आर्य को जेल हो चुकी है, लेकिन फिर भी इसे परीक्षा के ठेके मिलते रहे हैं.
द वायर हिंदी की ख़ास पड़ताल की पहली क़िस्त.
गुजरात का भर्ती घोटाला मॉडल: 11 पेपर लीक, 201 आरोपी, चयन बोर्ड अध्यक्ष का इस्तीफ़ा, पर सज़ा एक भी नहीं
गुजरात कांग्रेस के मुताबिक यह भर्ती घोटाले सरकारी सरंक्षण के बगैर संभव नहीं हैं. भाजपा के प्रमुख नेता और नरेंद्र मोदी के करीबी असित वोरा को एक चर्चित घोटाले के बाद चयन बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इसी तरह जो प्रिंटिंग प्रेस पेपर लीक के मसले पर सुर्ख़ियों में थी, उसने कभी मोदी की किताब का मुद्रण किया था.
पिछले दिनों शिक्षण संस्थानों से जुड़े दो मामले सामने आए. पहला था एक प्राइवेट विश्वविद्यालय 'गलगोटिया यूनिवर्सिटी' के कथित राजनीतिक इस्तेमाल का, वहीं दूसरा मुंबई के एक प्राइवेट स्कूल का, जिसकी प्रिंसिपल को अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया.