एएमयू को लेकर विवाद ज़रूर नया है पर षड्यंत्र वही पुराना है

इस समय इरादा मुसलमानों से जुड़ी हर जगह को संदिग्ध बनाने का है. उसका तरीक़ा है उन्हें विवादित बनाना. एक बार कुछ भी विवादित हो जाए तो उसमें दूसरा पक्ष जायज़ हो जाता है, जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित बनाकर अब संघ के संगठन एक जायज़ पक्षकार बन बैठे हैं.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास: बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर राजनीतिक पाप है

आज की मास्टरक्लास में अपूर्वानंद द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के साथ बाबरी मस्जिद और इसके विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने के बारे में चर्चा कर रहे हैं.

आज़ादी के सत्तर साल बाद भी एक बीमार देश राष्ट्रवाद की ऊर्जा की तलाश में भटक रहा है

कश्मीर, आतंकवादी, वामपंथी, जेएनयू और जेएनयू टाइप, राष्ट्रवाद, दुर्गा, सब कुछ घालमेल हो जाता है. देश जैसे एक विक्षिप्तता में बड़बड़ा रहा है. सन्निपात से उसे होश में लाना नामुमकिन हो रहा है.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास: क्या गांधी मुस्लिमपरस्त थे?

मास्टरक्लास में प्रो. अपूर्वानंद देश में मुसलमानों की नागरिकता पर उठ रहे सवाल और महात्मा गांधी के नज़रिये पर इतिहासकार सुधीर चंद्रा से चर्चा कर रहे हैं.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास: क्यों लोकतंत्र विरोधी है राजद्रोह क़ानून

दिल्ली पुलिस ने 2016 में दर्ज राजद्रोह के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा अन्य के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दाख़िल किया है. इस मुद्दे पर अपूर्वानंद का नज़रिया.

आनंद तेलतुम्बड़े को गिरफ़्तार करने की कोशिश इस राजतंत्र के बढ़ते अहंकार का सबूत है

राजतंत्र हम सबको इतना मूर्ख समझ रहा है कि हम विश्वास कर लेंगे कि सामाजिक कार्यकर्ता इस देश में हिंसा की साज़िश कर रहे हैं. यह कहने वाले वे हैं जो दिन-रात मुसलमानों, ईसाईयों और सताए जा रहे लोगों के हक़ में काम करने वालों को शहरी माओवादी कहकर नफ़रत और हिंसा भड़काते रहते हैं.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास: आरक्षण की हत्या के लिए आरक्षण का हथियार

केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सतीश देशपांडे से चर्चा कर रहे हैं अपूर्वानंद.

कल तक कांग्रेस जिस कल्लूरी को ‘अपराधी’ बताती थी, वो आज उन्हें महत्वपूर्ण पद से क्यों नवाज़ रही है?

क्या सत्ता के चरित्र में ही कुछ ऐसा है कि वह आपको अधर्म की ओर ले जाती है? वो भूपेश बघेल जो एसआरपी कल्लूरी को जेल भेजना चाहते थे, वही उन्हें अब महत्वपूर्ण पद सौंप रहे हैं. बघेल कह सकते हैं कि तब वे विपक्ष में थे और उसका कर्तव्य निभा रहे थे और अब उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी उनसे यह काम करवा रही है.

अपूर्वानंद की मास्टरक्लास, एपिसोड 01: सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार को उम्रक़ैद

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में 34 साल बाद कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है. इस विषय पर अपूर्वानंद की पहली मास्टरक्लास.

क्या इस देश में अब बहस सिर्फ़ अच्छे हिंदू और बुरे हिंदू के बीच रह गई है?

कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता का नाम लेना छोड़ दिया है. वह विचार जो उस पार्टी का विशेष योगदान था, भारत को ही नहीं, पूरी दुनिया को, उसमें उसे इतना विश्वास नहीं रह गया है कि चुनाव के वक़्त उसका उच्चारण भी किया जा सके.

‘गांधी की मृत्यु’ को गांधी के जन्म के उत्सवों के बीच पढ़ा जाना चाहिए

नेमेथ लास्लो की अचूक नैतिकता गांधी के संदेश के मर्म को पकड़ लेती है, 'सत्याग्रह-सत्य में निष्ठा-का अर्थ है राजनीति का संचालन स्वार्थ या हित साधन से नहीं, बल्कि सत्य से प्रेम के द्वारा हो.'

अब तिरंगे से सुकून नहीं, जुनून पैदा किया जा रहा है

तिरंगा लेकर आप कांवर यात्रा में चल सकते हैं. गणेश विसर्जन में भी उसे लहरा सकते हैं. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में विशाल डंडों में बांधकर मोटरसाइकिल पर दौड़ा सकते हैं. तिरंगे से आप मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा करने वालों के शव ढंक सकते हैं, लेकिन उससे आप अपनी बेपर्दगी ढंक नहीं सकते!