कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात करने का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पिछले महीने श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक करने के बाद आया है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में सैनिकों के रहने का इंतज़ाम करने के लिए विवाह हॉल को भी बैरकों में तब्दील करना शुरू कर दिया है.
जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा है कि सीआईडी के प्रमुख की अध्यक्षता में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी नाम से नई एजेंसी आतंकवाद से जुड़े मामलों और अपराधियों को कटघरे में लाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी.
जम्मू कश्मीर में भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम रंधावा ने 24 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान के बीच टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट मैच में पाक की जीत पर कथित तौर पर जश्न मना रहे कश्मीरी मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान करते हुए नस्लवादी टिप्पणियां की थीं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
उत्तर प्रदेश के आगरा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे कश्मीर के तीन छात्रों को बीते 24 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान के बीच टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट मैच में पाक की जीत पर जश्न मनाने के आरोप में राजद्रोह से संबंधित धाराओं में गिरफ़्तार किया गया है. तीनों छात्र ग़रीब परिवारों से हैं और प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत पढ़ रहे हैं. उनके परिजनों ने उन्हें माफ़ करने की अपील सरकार से की है.
जम्मू कश्मीर के फ्रीलांस फोटो पत्रकार मनन गुलज़ार डार को आतंकी साज़िश मामले में एनआईए ने गिरफ़्तार किया है. एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में मनन के भाई हनन गुलज़ार डार को गिरफ़्तार किया था. परिवार का कहना है कि एक पखवाड़े से अधिक समय बीत गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वह ज़िंदा हैं या नहीं.
शोपियां जिले में हुई इस घटना में मारे गए व्यक्ति की पहचान शाहिद अहमद राथर के रूप में हुई है, जो एक दिहाड़ी मज़दूर थे. सीआरपीएफ ने दावा किया है कि आतंकियों की ओर से हुई गोलीबारी का जवाब देते वक़्त यह वाक़या हुआ. घटना पर घाटी के मुख्यधारा के दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
घटना कुलगाम ज़िले में हुई है. यह मिलिटेंट संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' के संस्थापक अब्बास शेख का गृह ज़िला है, जिसने सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ कश्मीर में रहने वाले स्थानीय और ग़ैर-स्थानीय अल्पसंख्यकों पर हाल के अधिकांश हमलों की ज़िम्मेदारी ली है. इस महीने अब तक नागरिकों को निशाना बनाकर की गई गोलीबारी में 11 लोगों की मौत हो चुकी है.
सात अक्टूबर को अनंतनाग में एक सीमा चौकी के पास रुकने का संकेत देने के बावजूद एक कार के न रुकने पर सीआरपीएफ जवानों ने गोलियां चला दीं, जिसमें परवेज़ अहमद नाम के एक शख़्स की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी सहमति के बिना ही शव दफ़ना दिया. परवेज़ के परिवार के साथ घाटी के कई नेताओं ने इस घटना की जांच की मांग की है.
श्रीनगर में मंगलवार को आतंकियों के हमले में शहर के जाने-माने केमिस्ट समेत तीन लोगों की जान गई है. कश्मीर में हालिया हमले के बाद इस साल अब तक लगभग दो दर्जन नागरिकों की हत्या हो चुकी है. जम्मू कश्मीर पुलिस ने इन हत्याओं को 'हाइब्रिड युद्ध' बताया है, जो आतंकियों का एक नया हथकंडा है.
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में शनिवार को अज्ञात लोगों ने मट्टन इलाके में पहाड़ पर स्थित माता बरघशिखा भगवती मंदिर में तोड़-फोड़ की. यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब केंद्र सरकार 1990 के दशक के शुरुआत में घाटी छोड़कर गए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर क़दम उठा रही है.
जम्मू कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 15 सितंबर को जारी किए गए इन नए नियमों से जम्मू कश्मीर के छह लाख सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि यूएपीए और पीएसए का इस्तेमाल असंतोष को दबाने के लिए किया जा रहा है.
पुलिस द्वारा यह कार्रवाई कठोर यूएपीए क़ानून के तहत पिछले साल दर्ज एक मामले को लेकर की गई है, जो कश्मीर के पत्रकारों व कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी से जुड़ा हुआ है.
अलगावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार का कहना है कि पहले जम्मू कश्मीर पुलिस इस बात पर सहमत हुई थी कि उनके परिजन उन्हें दफ़नाने के इंतज़ाम कर सकेंगे, लेकिन बाद में पुलिसकर्मी उनका शव लेकर चले गए.
बीते दिनों जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक मुठभेड़ में इमरान क़यूम नाम के शख़्स को आतंकवादी बताते हुए मार गिराने के बाद उनको दफ़ना दिया गया. इमरान के परिवार ने पुलिस के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि यह फ़र्ज़ी एनकाउंटर था. उन्होंने मामले की जांच के लिए उपराज्यपाल और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र भी लिखा है.
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 'राज्य की सुरक्षा' के ख़िलाफ़ संदिग्ध गतिविधियों वाले सरकारी कर्मचारियों के मामलों की जांच के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है. संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के अंतर्गत पारित इस आदेश के तहत सरकार को हक़ है कि वो बिना जांच समिति का गठन किए किसी भी कर्मचारी को बर्ख़ास्त कर दे.