कुछ गैंगस्टरों की हत्या होगी और कुछ अन्य को आज संरक्षण मिलेगा, कल ज़रूरत पड़ने पर उनकी भी हत्या होगी. आम नागरिक को टीवी पर जय श्री राम के नारों के साथ हत्याओं का लाइव टेलीकास्ट दिखाया जाएगा ताकि वो 56 इंच छाती की तारीफ़ करे.
विपक्ष के बिना लोकतंत्र की नदी सूख जाएगी. हर सरकार ग़लती करती है और ग़लतियां होने, उन्हें सुधारने में कोई शर्म नहीं है. पर जिन देशों में एक ही दल और उसके सुप्रीम नेता को ही लोकप्रियता और जनसमर्थन प्राप्त हो और विपक्ष कमज़ोर या ग़ायब हो, वहां इस सरकार और नेता की कोई ग़लती आपदा का रूप ले लेती है.
डॉ. आंबेडकर ने संविधान के पहले मसौदे को संविधान सभा में पेश करते हुए कहा था कि 'नवजात प्रजातंत्र के लिए संभव है कि वह आवरण प्रजातंत्र का बनाए रखे, परंतु वास्तव में तानाशाही हो जाए.' जब मोदी की चुनावी जीत को लोकतंत्र, उनसे सवाल या मतभेद रखने वालों को लोकतंत्र का दुश्मन बताया जाता है, तब डॉ. आंबेडकर की चेतावनी सही साबित होती लगती है.
राष्ट्रीय राजधानी में श्रद्धा वाकर की उनके लिव-इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला द्वारा की गई निर्मम हत्या ने बहुत दर्द और गुस्सा पैदा किया है. पुलिस का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि आफ़ताब को इस नृशंस हत्या की सज़ा मिले. लेकिन आगे महिलाओं के प्रति हिंसा न हो, उसके लिए बतौर समाज हमें क्या करना चाहिए?
अगर घर की चारदीवारी के भीतर अन्य अपराध होते हैं, तब हम कैसे मान सकते हैं कि मैरिटल रेप नहीं होता होगा?