मोरबी ज़िला प्रशासन ने एक अधिसूचना जारी करके क्षेत्र में काम करने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों का स्थानीय पुलिस में पंजीकरण कराने का आदेश दिया है. इसका पालन न करने की स्थिति में आपराधिक कार्रवाई की बात कही गई है. अब तक ऐसे कम से कम 50 मामले दर्ज भी किए जा चुके हैं.
महाराष्ट्र के रत्नागिरी से निकलने वाले एक स्थानीय अख़बार में एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले स्थानीय भूमि एजेंट के बारे में ख़बर लिखने के कुछ ही घंटों के बाद शशिकांत वारिशे नाम के पत्रकार को इस एजेंट ने कार से कुचल दिया था, जिसके बाद गंभीर रूप से घायल पत्रकार की अस्पताल में मौत हो गई.
अपने विवादित बयानों के लिए पहचाने जाने वाले हैदराबाद से विधायक टी. राजा सिंह को बीते वर्ष भाजपा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित वीडियो जारी करने के चलते निलंबित कर दिया था. सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने के चलते जेल में रहने के बाद उनके रिहाई आदेश में अदालत ने तीन मुख्य शर्तें लगाई थीं, जिनमें भड़काऊ भाषण न देने की भी बात थी.
पुणे के हडपसर स्थित उन्नति नगर मस्जिद के बाहर 2 जून 2014 को एक 24 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ मोहसिन शेख़ की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे. सभी 21 आरोपी हिंदू राष्ट्र सेना नामक एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन का हिस्सा थे.
छत्तीसगढ़ की जानी-मानी वन अधिकार और क़ैदी अधिकार कार्यकर्ता हिड़मे मरकाम को 9 मार्च 2021 को दंतेवाड़ा में एक सभा के दौरान गिरफ़्तार कर लिया गया था. उन पर हिंसक नक्सली हमलों और हत्या जैसे पांच मामले दर्ज किए गए थे. करीब दो साल की क़ैद के बाद वे रिहा हुई हैं. अब तक वे चार मामलों में बरी हो चुकी हैं, जबकि एक मामला लंबित है.
2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के लिए एल्गार परिषद के आयोजन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इसके कुछ प्रतिभागियों समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सामने एक पुलिस अधिकारी ने अपने हलफ़नामे में हिंसा में आयोजन की कोई भूमिका होने से इनकार किया है.
बेबाक कलेक्टिव द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में देश में पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और घृणा अपराधों में वृद्धि के कारण मुस्लिम समुदाय के सामने खड़ी हुई सामाजिक, भावनात्मक और वित्तीय मुश्किलों को शामिल किया गया है.
विशेष रिपोर्ट: जेल में सज़ा काट रही महिला क़ैदियों के साथ रहने वाले बच्चों को तो तमाम परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है, लेकिन वो जिन्हें मां से अलग कर बाहर अपने बलबूते जीने के लिए छोड़ दिया जाता है, उनके लिए भी परेशानियों का अंत नहीं होता.
प्रवर्तन निदेशालय ने एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गतिविधियां संचालित करने के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया है. इस संबंध में एक विशेष अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर गाडलिंग से पूछताछ की अनुमति मांगी गई है.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में हुई फायरिंग के मामले में नगालैंड सरकार की एसआईटी ने सेना के टीम कमांडर पर 'जानबूझकर चूक' का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा लिए गए हिंसक क़दम और चूक को छिपाने के प्रयासों के चलते तेरह आम आदिवासियों की जान गई.
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को 'व्यवस्थित करने' और कोविड महामारी के बाद छात्रों पर से पठन सामग्री का भार 'कम' करने का हवाला देते हुए एक विशेषज्ञ समिति ने पाठ्यपुस्तकों से जाति, जाति विरोधी आंदोलन, साहित्य और राजनीतिक परिघटनाओं से जुड़े कई मौलिक उल्लेखों को हटा दिया है.
नगालैंड में दिसंबर माह में सेना की गोलीबारी में हुई आम नागरिकों की मौतों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. जांच के दौरान एसआईटी के सामने बयान देने वाले सेना के 37 जवान इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें जो ख़ुफ़िया जानकारी मिली थी, वह ग़लत साबित हुई जिसके चलते 13 आम नागरिक मारे गए.
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सिलगेर गांव में बीते नौ महीनों से सीआरपीएफ कैंप की स्थापना के ख़िलाफ़ ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं. 19 जनवरी को सार्वजनिक परिवहन की बस से आंदोलन के नेताओं का एक समूह राज्यपाल से मिलने रायपुर जा रहा था, जब पुलिस ने बीच रास्ते में उन्हें कोविड नियमों के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया और अन्य यात्रियों को बेरोक-टोक जाने दिया.
साल 2016 में बीकानेर के एक स्कूल की छात्रा के बलात्कार और मौत की घटना के बाद दो स्टाफ सदस्यों को इस अपराध को छिपाने का दोषी पाया गया था. अब राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा रद्द करते हुए कहा कि वे 'लड़की की प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश' कर रहे थे.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का जुलाई 2021 में मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में निधन हो गया था. ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के विशेष अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई उनके गुज़रने के बाद हो रही है.