गुजरात के पाटन ज़िले में दो स्कूली बच्चों के बीच हुई लड़ाई के बाद हज़ारों की संख्या में भीड़ ने बस्ती पर हमला कर दिया. प्रभावित लोग आसपास के गांवों में शरण लिए हुए हैं.
जन की बात की 23वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ देश में व्याप्त वीआईपी कल्चर और सत्ता के दुरुपयोग पर चर्चा कर रहे हैं.
शिक्षकों पर यह भी आरोप कि नाबालिग को इतनी अधिक मात्रा में गर्भनिरोधक दवाएं दीं कि उसे कैंसर हो गया है.
डॉक्टरों पर मरीजों के परिजन द्वारा बढ़ते हमले के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र के तकरीबन चार हज़ार डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. बॉम्बे हाईकोर्ट की दख़ल के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल ख़त्म कर दी है. हालांकि इस दौरान तकरीबन 150 मरीज़ों की मौत हो चुकी है.
साल 2008 में हुए अहमदाबाद बम विस्फोट पर बनी फिल्म ‘समीर’ के एक डायलॉग को लेकर सेंसर बोर्ड को आपत्ति है. फिल्म से प्रताड़ना और बम विस्फोट से जुड़े दृश्यों को भी हटाने को कहा गया है.
लखनऊ के पास हुए इस दर्दनाक हादसे में पीड़ित महिला के साथ पहले तीन बार बलात्कार हुआ है और तीन बार तेज़ाब फेंका जा चुका है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों का कर्ज़ माफ़ करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा धन देने की बात से इनकार किया है.
जन की बात की 22वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ हिंसा की संस्कृति और देश में पानी की समस्या पर चर्चा कर रहे हैं.
एएनआई को दिए अपने बयान में रवींद्र गायकवाड़ ने कहा, 'मैंने उसे अपनी सैंडल से 25 बार मारा, क्योंकि वह बदतमीज़ी कर रहा था. मैं सांसद हूं तो क्या गालियां खाऊं, मैं शिवसेना का सांसद हूं भाजपा का नहीं.'
हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने तक का सफर.
जम्मू कश्मीर में पिछले 15 वर्षों के दौरान तकरीबन तीन लाख 70 हजार हथियारों के लाइसेंस बांटे गए. जनसंख्या घनत्व के लिहाज़ से ये आंकड़ा देश में सबसे ज़्यादा है.
जेएनयू के लापता छात्र नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस ने कहा बेटे को बदनाम करने की साज़िश हो रही है.
जन की बात की 21वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को दोनों पक्षों के आपस में सुलझा लेने पर की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और हैपीनेस इंडेक्स में भारत की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली चुनाव आयोग ने केजरीवाल सरकार को आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक आदि सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों से आम शब्द हटाने को कहा है.
साल 2016 के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत फिसलकर एक अंक नीचे चला गया है. 188 देशों की सूची में वह 131वें नंबर पर है.