ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई ने एक बयान में गाज़ा और म्यांमार के साथ भारत को भी उस सूची में रखा था, जहां मुसलमानों की स्थिति ठीक नहीं है. भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अल्पसंख्यकों पर बयानबाज़ी करने वाले देशों को दूसरे के बारे में राय ज़ाहिर करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए.
पिक्चर पोस्टकार्ड: बांग्लादेश का हिंदू चुभती हुई पीड़ा के साथ जी रहा है. अपने मुल्क में वह पराया हो गया है, और भारतीय सत्ता उसे 'दीमक' कह कर लांछित करती आ रही है.
साल 2017 के एक समझौते के तहत उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी बांग्लादेश को बिजली निर्यात करती है. अब वहां की अंतरिम सरकार न सिर्फ़ इस समझौते की शर्तों की समीक्षा करना चाहती हैं, बल्कि यह मूल्यांकन भी करना चाहती है कि बिजली के लिए जो क़ीमत चुकाई जा रही है, वो उचित है या नहीं.
तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस ने कहा था कि बांग्लादेश को दूसरी आज़ादी मिली है, लेकिन इसके असल लाभार्थी तमाम कट्टरपंथी संगठन बन रहे हैं.
बांग्लादेश से भागकर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ करीब 100 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर प्रदर्शनकारियों की हत्याओं से जुड़े हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के कारण कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं तो हम पड़ोसी देश से बात करेंगे.
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अल्पसंख्यक राजनीति विभाजित हो गयी है. कुछ हिंदू कहते हैं कि तख्तापलट के दौरान और उसके बाद अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गये हैं, और कुछ दावा करते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और माहौल को भड़काने के लिए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की अवामी लीग सरकार ने 1 अगस्त को देश के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा पर यह आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि उन्होंने छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान घातक हिंसा को बढ़ावा दिया है.
राणा दासगुप्ता बांग्लादेश के प्रमुख अल्पसंख्यक नेता हैं. द वायर हिंदी से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद 52 ज़िलों में अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की कम से कम 205 घटनाएं हुई हैं.
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच उत्तर बंगाल के कूचबिहार में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के जवानों ने भारतीय सीमा सुरक्षा बल को बाड़बंदी करने से रोक दिया, जिसके बाद बीजीबी और बीएसएफ के बटालियन कमांडेंट ने एक फ्लैग मीटिंग भी की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
किसी भी देश में बहुसंख्यकवाद हो, उसका प्रभाव दूसरे देश की प्रगति को बाधित करेगा. दोनों देशों की छवियां भी इससे प्रभावित होंगी. यदि भारत और बांग्लादेश में से एक में भी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म होती है तो ऊपर से चाहे जितने भी समझौते कर लिए जाएं, कभी अमन क़ायम नहीं हो सकता.
नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि लगभग 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा यूक्रेन की पहली यात्रा है.
बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके सभी अंग विकसित हो रहे हैं, हालांकि बढ़ती हुई असमानता आज भी चिंता का विषय है.
बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.