मणिपुर: भाजपा सहित 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों ने केंद्र सरकार से ‘अलग प्रशासन’ बनाने का आग्रह किया

अलग प्रशासन बनाने की मांग करने वाले 10 विधायकों में से 7 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, दो पार्टी के सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) और एक निर्दलीय विधायक हैं. इस विधायकों ने एक बयान में ‘मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा’ को स्पष्ट रूप से ‘मौजूदा सरकार द्वारा समर्थित’ कहा है.

पहलवानों के समर्थन में असम जातीय परिषद का प्रदर्शन, कहा- सरकार भाजपा सांसद को बचाने पर तुली है

असम जातीय परिषद नामक राजनीतिक दल ने राज्य के गुवाहाटी शहर में प्रदर्शन के दौरान ‘चैंपियन पहलवानों की दुर्दशा पर केंद्र सरकार की दयनीय उदासीनता’ के ख़िलाफ़ नारे लगाए. उन्होंने कहा कि पहलवानों को न्याय सुनिश्चित करने में केंद्र की हिचकिचाहट से भारतीय खिलाड़ियों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

मणिपुर की हिंसा नस्लीय सफ़ाया है, मुख्यमंत्री कुकी समुदाय विरोधी: मणिपुर भाजपा विधायक

मणिपुर में हुई हालिया हिंसा के बाद चूड़ाचांदपुर ज़िले की सइकोट सीट से भाजपा के विधायक पाओलिनलाल हाओकिप ने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह कुकी समुदाय को बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने जोड़ा कि ऐसा लगता है कि हालिया हिंसा में सरकारी तत्वों ने खुले तौर पर दंगाइयों की मदद की.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा- हिंसा में 60 लोगों की मौत हुई है

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा के दौरान धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं. सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर संकट को ‘मानवीय समस्या’ बताया, विस्थापितों की देखरेख करने को कहा

मार्च महीने में मणिपुर हाईकोर्ट ने मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को सिफ़ारिश करने का निर्देश दिया था. यह निर्णय विवाद के कारणों में से एक है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी समुदाय को एससी/एसटी के रूप में नामित करने की शक्ति हाईकोर्ट के पास नहीं, राष्ट्रपति के पास होती है.

पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न महिला संगठनों ने मणिपुर में शांति बहाल करने की अपील की

मणिपुर में जारी हिंसा के संबंध में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के विभिन्न महिला संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में चल रहे विभिन्न संघर्षों का मूल कारण सदियों का उपनिवेशवाद, हाशिए पर रखा जाना, उपेक्षा, भेदभाव, सुशासन की कमी, सैन्यीकरण, शस्त्रीकरण और इस क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के एक मार्ग के रूप में दुरुपयोग किया जाना है. 

मणिपुर में भड़की हिंसा की वजह क्या है?

वीडियो: मणिपुर में मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में बीते 3 मई को निकली रैलियों के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें क़रीब 54 लोगों की मौत हो गई. कई घरों में आग लगा दी गई और सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए. इस घटनाक्रम के बारे में बता रही हैं द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती.

मणिपुर हिंसा: कोर्ट में याचिका, मेईतेई समुदाय के कथित अत्याचारों की जांच के लिए एसआईटी की मांग

मणिपुर ट्राइबल फोरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि हिंसा के दौरान उनके द्वारा सूचीबद्ध किए गए प्रत्येक मौत के मामले में एफ़आईआर दर्ज कर मुक़दमा एसआईटी द्वारा चलाया जाए. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर्नाटक में चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के बजाय हिंसा प्रभावित मणिपुर के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने को कहा.

मणिपुर में हिंसा के बीच 54 लोगों की मौत, 13 हज़ार लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए

मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका नगा और कुकी समेत कई आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. इस विवाद के केंद्र में मणिपुर हाईकोर्ट का वह आदेश भी है, जिसमें मेईतेई को एसटी दर्जा देने संबंधी बात कही गई थी.

मणिपुर हिंसा के दौरान चर्चों पर हमला, ईसाई संगठनों ने शांति की अपील की

मणिपुर में आदिवासी समुदाय और मेईतेई समुदायों के बीच जारी हिंसा के बीच देश भर के ईसाई संगठनों ने कहा कि हम राज्य में ईसाइयों को निशाना बनाने और उनके उत्पीड़न में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं. हम सभी पक्षों से संयम बरतने और मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करने का आह्वान करते हैं.

सात वजहें, जो बताती हैं कि मणिपुर हिंसा अचानक हुई घटना नहीं है

मणिपुर में हुई हालिया हिंसा के बीच जो बात स्पष्ट नज़र आती है, वो यह है कि समुदायों के बीच संघर्षों के इतिहास से भरे इस राज्य को संभालने में अगर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ज़रा भी सावधानी बरती होती तो ताज़ा संघर्ष के कई कारणों से बचा जा सकता था.

मणिपुर में हिंसा के बीच दो दिन में 13 लोगों की मौत

मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनके संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे. बीते 3 मई को मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा निकाले गए मार्च के दौरान राज्य में हिंसा भड़क गई थी.

मणिपुर: विरोध मार्च के दौरान हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा, मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित

मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के एक वर्ग द्वारा खुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध करने के लिए एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा आयोजित एकजुटता मार्च के बाद चुराचांदपुर ज़िले समेत राज्य के कई हिस्सों में तनाव फैल गया. जानकारी के अनुसार, कम से कम 23 घरों को जला दिया गया और 19 लोग घायल हैं.

त्रिपुरा: ईद पर वीडियो बनाने के लिए भाजपा नेताओं ने व्लॉगर पर हमला किया

त्रिपुरा के ब्लॉगर बापन नंदी पर बीते 22 अप्रैल को स्थानीय भाजपा नेताओं ने हमला कर उनकी पिटाई की. नंदी ने कथित तौर पर ईद पर एक वीडियो और एक गाना भी बनाया था. वीडियो में लोगों से सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं होने और ईद के त्योहार को सद्भाव से मनाने की अपील की गई थी.

असम: पुनर्वास शिविर में अमानवीय हाल में रह रहे लोगों को लेकर अदालत ने सरकार को फटकारा

गौहाटी हाईकोर्ट ने एक ख़बर का स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें होजई के डोबोका शिविर की बदहाल व्यवस्था दर्ज करते हुए 18 महीने से 6 साल के 50 बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने के बारे में बताया गया था. मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी की शिविर के दौरे के बाद दी गई रिपोर्ट में बेहद अमानवीय स्थिति सामने आई है.

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