पहलवानों के समर्थन में असम जातीय परिषद का प्रदर्शन, कहा- सरकार भाजपा सांसद को बचाने पर तुली है

असम जातीय परिषद नामक राजनीतिक दल ने राज्य के गुवाहाटी शहर में प्रदर्शन के दौरान ‘चैंपियन पहलवानों की दुर्दशा पर केंद्र सरकार की दयनीय उदासीनता’ के ख़िलाफ़ नारे लगाए. उन्होंने कहा कि पहलवानों को न्याय सुनिश्चित करने में केंद्र की हिचकिचाहट से भारतीय खिलाड़ियों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

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जंतर मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों ने बीते दिनों कैंडल मार्च निकाला था. (फोटो साभार: ट्विटर/@SakshiMalik)

असम जातीय परिषद नामक राजनीतिक दल ने राज्य के गुवाहाटी शहर में प्रदर्शन के दौरान ‘चैंपियन पहलवानों की दुर्दशा पर केंद्र सरकार की दयनीय उदासीनता’ के ख़िलाफ़ नारे लगाए. उन्होंने कहा कि पहलवानों को न्याय सुनिश्चित करने में केंद्र की हिचकिचाहट से भारतीय खिलाड़ियों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

जंतर मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों ने बीते दिनों कैंडल मार्च निकाला था. (फोटो साभार: ट्विटर/@SakshiMalik)

नई दिल्ली: यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कई हफ्तों से नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे देश के शीर्ष पहलवानों का असम जातीय परिषद (एजेपी) ने समर्थन किया है.

खिलाड़ियों के विरोध के समर्थन में उत्तर पूर्व भारत में प्रदर्शन करने वाली असम जातीय परिषद पहली क्षेत्रीय इकाई है.

बीते 11 मई को इस राजनीतिक दल ने असम के गुवाहाटी शहर में एक प्रदर्शन किया था, जहां उनके सदस्यों और नेताओं को न केवल ‘चैंपियन पहलवानों की दुर्दशा पर केंद्र सरकार की दयनीय उदासीनता’ के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा गया, बल्कि इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राहगीरों से बात भी की गई.

दल के नेताओं ने कहा कि पहलवानों को न्याय सुनिश्चित करने में केंद्र सरकार की हिचकिचाहट से ‘भारतीय खिलाड़ियों के मनोबल पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा’.

उन्होंने कहा, ‘आश्चर्यजनक है कि बृजभूषण शरण सिंह, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है, को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से क्यों नहीं हटाया गया.’

पार्टी के महासचिव और पूर्व राज्य मंत्री जगदीश भुइयां ने एक प्रेस नोट में कहा कि प्रदर्शन के पीछे का उद्देश्य गुवाहाटी में आम नागरिकों को इस बात से अवगत कराना था कि कैसे ‘सरकार ज्ञात आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भाजपा सांसद की रक्षा करने पर तुली हुई है.’

भुइयां ने ट्वीट किया, ‘प्रदर्शन को लेकर लोगों से हमें मिले जबरदस्त समर्थन से हम खुश हैं.’

पार्टी अध्यक्ष और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के पूर्व नेता लुरिनज्योति गोगोई ने भी ट्वीट कर कहा, ‘हम भारत के इन रत्नों को अपना पूरा समर्थन देना चाहते हैं. असम उनके साथ खड़ा है.’

असम जातीय परिषद 2019 के विधानसभा चुनावों के लिए असम में गठित तीन नई क्षेत्रीय इकाइयों में से एक है. हालांकि यह उन चुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही. हाल ही में असमिया समाचार चैनल प्रतिदिन टाइम द्वारा चलाए गए एक जनमत सर्वेक्षण ने पार्टी को राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे लोकप्रिय पार्टी बताया है.

विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक सहित भारत के कुछ शीर्ष पहलवान कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का विरोध कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. छह बार के सांसद सिंह ने आरोपों से इनकार किया है.

मालूम हो कि बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.

कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.

इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.

हालांकि इसके बाद भी कोई कार्रवाई ने होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया.

सात दिनों के विरोध के बाद बीते 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से एक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत और दूसरी महिला के शील भंग का प्रयास से संबंधित है.

इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

इस बीच बीते शनिवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने एक पत्र जारी कर भारतीय कुश्ती महासंघ के सभी निवर्तमान अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से महासंघ का कोई भी आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया है. नए निर्देश के साथ एक नई तदर्थ समिति के पास अब राष्ट्रीय खेल महासंघ के कार्यालय को चलाने की स्वायत्त शक्ति है.

आईओए के संयुक्त सचिव और कार्यवाहक सीईओ कल्याण चौबे ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, ‘आईओए द्वारा कुश्ती के अनुशासन के लिए नियुक्त तदर्थ समिति राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के सभी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करेगी.’

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