साल 2007 में हुए अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा और संघ के नेता इंद्रेश कुमार को क्लीनचिट दे दी है.
मुस्लिम मजलिस की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूल में भी वही दूषित, संकीर्ण और कठमुल्लई मनोवृत्ति है, और वह एक लौकिक भारतीय समाज और खरी राष्ट्रीयता के विकास में बाधक होगी.
जन की बात की 27वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ आधार कार्ड और दिल्ली के सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल रीगल के बंद होने और पर चर्चा कर रहे हैं.
गोरक्षा के गर्माए माहौल के बीच सरकार बछड़ों की संख्या रोककर बढ़ाएगी बछियों की संख्या.
केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 में बदलाव का नया मसौदा तैयार कर लिया है, इसके लिए 15 अप्रैल तक आम जनता की राय मांगी गई है.
भारतीय परंपरा और लड़कियों की सुरक्षा की ओट में पुरानी पीढ़ी का आधुनिकता विरोध एक ऐसे सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को मज़बूती दे रहा है जो आगे जाकर भारतीय सभ्यता से समन्वयवाद का पूरा सफाया करने में संकोच नहीं करेगा.
हाल ही में गुजरात सरकार ने विधानसभा में गोहत्या को लेकर क़ानून बनाया है जिसके तहत गोहत्या का दोषी पाए जाने पर उम्रक़ैद और गोमांस लाने, ले जाने या रखने पर 10 साल की सज़ा जैसे प्रावधान किए गए हैं.
विपक्ष का आरोप: अमीर गोश्त निर्यात कर रहा, आम कारोबारी पर आफ़त ला रही सरकार.
आधार के समर्थन में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि लाखों ‘छात्रों के भूत’ मिड डे मील का लाभ उठा रहे हैं. ये दावे न तो प्रमाणिक हैं, न गंभीर जांच पर आधारित हैं.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अदालत से प्रशासनिक ब्लॉक के सौ मीटर के अंदर कोई भी विरोध-प्रदर्शन रोकने के लिए निर्देश जारी करने की अपील की है.
कारोबारियों ने सरकार को बेहतर नेटवर्क तैयार करने, जागरूकता बढ़ाने और पूरी तैयारी से आगे आने की सलाह दी है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, गुजरात सरकार नहीं हासिल कर सकेगी मृत्युदर कम करने का लक्ष्य
राज्य के ताकतवर छात्र संगठन अखिल असम छात्र संघ (आसू) समेत 30 संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. इन संगठनों का कहना है कि भाजपा सरकार 1971 के बाद आए बांग्लादेशी हिंदुओं को असम में बसाने की कोशिश कर रही है.
रूढ़िवादी ताक़तों के उभार के कारण बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों की मेल-जोल वाली संगीत जैसी सांस्कृतिक परंपराएं ख़तरे में आ गई हैं.
वैश्विक अनुभव बताते हैं कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को जिन देशों में लागू किया गया वहां इसने अर्थव्यवस्था में छोटी अवधि से लेकर मध्यम अवधि तक का गंभीर व्यवधान उत्पन्न किया. भारत में जीएसटी के अधपके रूप से हमें इससे बेहतर की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.