इस साल जनवरी में भाजपा विधायक के बेटे की शिकायत पर हिंदू देवी-देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर इंदौर में हास्य कलाकार मुनव्वर फ़ारूक़ी और चार अन्य लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया था. फ़ारूक़ी इंदौर के केंद्रीय जेल में 35 दिन बंद रहे थे. उन्हें उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद छह फरवरी को रिहा किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट त्रिपुरा में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा और इसे लेकर राज्य पुलिस की कथित मिलीभगत की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में कहा गया है कि घटनाओं की गंभीरता के बावजूद पुलिस द्वारा उपद्रवियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया. उन लोगों में से किसी को गिरफ़्तार नहीं किया, जो मस्जिदों या दुकानों में तोड़फोड़ करने और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले भाषण देने के लिए ज़िम्मेदार
मामला बेलगावी का है, जहां हिंदुत्व संगठनों द्वारा ईसाइयों पर हमले की कुछ घटनाओं के बाद पुलिस ने ईसाई समूहों को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के ख़त्म होने तक प्रार्थना सभाएं आयोजित करने से बचने को कहा है. 13 से 24 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी क़ानून पेश होने की उम्मीद है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,45,87,822 हो गई है और मृतकों का आंकड़ा बढ़कर मृतक संख्या बढ़कर 4,68,980 हो गया है. विश्व में संक्रमण के मामले 26.22 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं और 52.07 लाख से अधिक लोग इस महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?
अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भंग करते हुए एक प्रशासक की नियुक्ति करते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा कि कंपनी के भुगतान बाध्यताओं को पूरा करने में विफल रहने के बाद यह क़दम उठाया गया है.
याचिकाकर्ताओं को भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि जिस डिवाइस में कथित रूप से पेगासस स्पायवेयर डाला गया था, उसे नई दिल्ली में जमा कराया जाए. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि आखिर इसे किस जगह पर जमा करना है.
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश में साल 1991 में ऑनर किलिंग से संबंधित मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि वह पहले भी ऐसी हत्याएं रोकने के लिए कड़े क़दम उठाने के कई निर्देश जारी कर चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जाति-आधारित प्रथाओं द्वारा क़ायम 'कट्टरता' आज भी प्रचलित है और यह सभी नागरिकों के लिए संविधान के समानता के उद्देश्य को बाधित करती है.
दिल्ली की एक अदालत एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे कथित तौर पर उसके घर से उठाया गया था, अवैध हिरासत में रखा गया और फिर एक ‘मुठभेड़’ में पैर में गोली मार दी गई थी. अदालत ने पाया कि औपचारिक गिरफ़्तारी 13 नवंबर को की गई थी, हालांकि उस व्यक्ति को कथित मुठभेड़ में गोली दो नवंबर को मारी गई थी.
पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि नागरिक समाज या सिविल सोसाइटी शासन व्यवस्था के महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर हैं, पर आज संवैधानिक आचरण के मानकों की अवहेलना या कार्यपालिका के अधिकारों के दुरुपयोग के संबंध में आवाज़ उठाने वालों को 'विदेशी एजेंट' और 'अवाम का दुश्मन' घोषित कर दिया जाता है.
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा के पेपर लीक होने की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आरोपियों के ख़िलाफ़ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज होने जा रहा है और सरकार उनकी संपत्ति ज़ब्त कराने और रासुका के तहत उन्हें निरुद्ध करने जा रही है. वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि भर्ती में भ्रष्टाचार भाजपा सरकार की पहचान बन गया है.
25 नवंबर को इलाहाबाद के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव में दो महिलाओं व एक बच्चे समेत दलित परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में कथित उच्च जाति से जुड़े 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आठ को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब पुलिस का दावा है कि 23 साल के एक दलित युवक ने परिवार की हत्या की है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,45,80,832 हो गई है और इस महामाही की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा 4,68,790 पहुंच चुका है. विश्व में संक्रमण के 26.10 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 51.99 लाख लोगों की मौत हुई है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर में अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में न बताने वाली महिलाओं का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक रहा. आठ राज्यों में दस प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने शारीरिक हिंसा से बचने के लिए मदद मांगी.
स्मृति शेष: मन्नू भंडारी को पढ़ते वक़्त ज़िंदगी अपने सबसे साधारण, निजी से भी निजी और सबसे विशुद्ध रूप में सामने आती है- और हम तुरंत ही उससे कुछ अपना जोड़ लेते हैं. मन्नू भंडारी की रचनाएं किसी समाज को बदलकर रख देने का वादा नहीं करती और न स्वयं लेखक ही पाठक को इस मुगालते में रखती हैं.