हिंदी पट्टी में भाजपा ने 51 सीटें गंवा दी हैं, जिनमें से 22 सीटें सवर्ण सांसदों के पास और केवल सात सीटें ओबीसी सांसदों के पास थीं.
2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए क्षेत्रीय दलों की ज़रूरत नहीं थी. लेकिन इस बार है. ऐसे में भाजपा नहीं चाहेगी कि गठबंधन के प्रमुख घटक दलों, ख़ासकर तेदेपा और जदयू में से कोई नाराज़ हो.
मानहानि का यह मामला 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को भ्रष्ट बताने वाले स्थानीय अख़बारों में प्रकाशित विज्ञापनों से संबंधित था. इससे पहले इसी केस में कर्नाटक के कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को एक जून को ज़मानत मिल चुकी है.
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के करीब एक चौथाई उम्मीदवार दूसरे दलों से आयात किए हुए थे. भाजपा की इस रणनीति से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता नाराज़ थे.
राजधानियों में बैठे विश्लेषकों और वाचाल एंकरों के लिए गांव की भाषा व राजनीतिक मुहावरे पहले भी अबूझ रहे हैं और इस बार भी अबूझ रहे. वे न इन आवाजों को सुन पाए, न समझ पाए.
जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों में से दो सीटों पर भाजपा, दो पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. वहीं, चुनावी मैदान में उतरे 100 उम्मीदवारों में से 89 की ज़मानत ज़ब्त हुई है.
जहां भाजपा सपा (और कांग्रेस) द्वारा उत्तर प्रदेश में उसे दी गई गहरी चोट को ठीक से सहला तक नहीं पा रही, उसके शुभचिंतक बुद्धिजीवी और विश्लेषक ‘मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त’ की तर्ज पर इस चोट को साधारण क़रार देने के लिए एक के बाद एक कुतर्क गढ़ रहे हैं.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का आरोप है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टीवी साक्षात्कारों में लोगों को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने से पहले शेयर खरीदने की सलाह दी थी, जिसके चलते खुदरा निवेशकों ने 30 लाख करोड़ रुपये गंवाए हैं.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने उसके 33 निवर्तमान सांसदों को तीसरी या उससे अधिक बार चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से आधे से ज़्यादा (20) सांसदों ने अपनी सीट गंवाई है.
भाजपा को पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोक दल और पूर्वांचल में निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का साथ मिला था. इनके कुल छह उम्मीदवारों में से तीन को हार का सामना करना पड़ा.
गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र के रहने वाले रामभुआल निषाद अपने 28 वर्ष के राजनीतिक करिअर में बसपा, सपा, भाजपा में लगातार आवाजाही करते रहे हैं. सुल्तानपुर सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को हराकर उन्होंने 18 वर्ष और छह लगातार चुनाव हारने के बाद जीत हासिल की है.
निर्दलीय उम्मीदवार और खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से और सरबजीत सिंह खालसा ने फरीदकोट (आरक्षित) लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर पंजाब की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.
लोकसभा में बहुमत से बहुत दूर रही भाजपा के लिए तेलुगू देशम पार्टी का साथ महत्वपूर्ण है. एन. चंद्रबाबू नायडू भाजपा के साथ बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार बताए जा रहे हैं और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष पद के साथ वित्त, कृषि जैसे विभिन्न मंत्रालयों की भी मांग की है.
इस बार 797 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में थीं, जिसमें से 75 ने जीत हासिल है. जहां केरल,गोवा समेत 8 राज्यों में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सकी, वहीं पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक दस सीटों पर महिला उम्मीदवार जीती हैं.
इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के शंकर लालवानी ने कुल 12,26,751 वोटों के साथ चुनाव जीता, वही 2,18,674 नोटा वोट दर्ज किए गए. कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम द्वारा नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल होने के बाद यहां से कोई प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मैदान में नहीं था.