पत्थर के सनम जिन्हें हमने ख़ुदा जाना

आज हमें जो क्षोभ हो रहा है, उसका कारण सरकार से की गई अपेक्षाएं हैं, जिन पर खरी उतरने में वो पूरी तरह नाकाम रही. ऐसा दस साल पहले भी होता तो हम इतने ही त्रस्त होते, पर मुद्दा ये है कि जिन्हें हमने ख़ुदा समझा, वे परीक्षा की घड़ी आई, तो मिट्टी के माधो साबित हुए. बेशक दूसरे भी नालायक ही थे, पर कोई उन्हें ‘तारणहार’ कहता भी नहीं था!

लानत है, लानत, विराग को राग सुहाए, साधू होकर मांस मनुज का भर मुंह खाए…

प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करने से पहले याद कर लें कि जिस समय वे कुंभ में जमावड़े से बचने की अपील कर रहे थे, उसी समय बंगाल में अपनी सभाओं में जनता को आमंत्रित कर रहे थे. क्या वह भीड़ संक्रमण से सुरक्षित है? क्या यह अधिकार प्रधानमंत्री, उनके गृह मंत्री को है कि वे कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के बीच उस संक्रमण का पूरा इंतज़ाम करें? क्या यह राष्ट्रीय आपदा क़ानून के तहत अपराध नहीं है?

कोरोना की अंतहीन दर्द भरी गाथा: देखो धुएं के साथ मेरी मां जा रही हैं…

भोपाल शहर के सारे विश्राम घाट इन दिनों मृत देहों से पटे पड़े हैं. ढेर सारी एंबुलेंस मृत शरीरों को रखे अपनी बारी का इंतजार करती रहती हैं, चाहे भदभदा विश्राम घाट हो या सुभाष विश्राम घाट सब जगह इतनी देह आ रही हैं कि प्रबंधकों के चेहरे पर पसीना ही दिखता है.

बाबा साहेब के सपनों को साकार करने के लिए जातिवादी व्यवस्था के विरुद्ध मुहिम तेज़ करनी होगी

कोई भी राजनीतिक दल जाति व्यवस्था के अंत का बीड़ा नहीं उठाना चाहता है, न ही कोई सामाजिक आंदोलन इस दिशा में अग्रसर है. बल्कि, जाति आधारित संघों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. यह राष्ट्र एवं समाज के लिए एक घातक संकेत है.

सागर सरहदी, जो ताउम्र विभाजन के विषाद और उजड़ जाने का एहसास लिए जीते रहे

स्मृति शेष: सागर सरहदी इस एहसास के साथ जीने की कोशिश करते रहे कि दुनिया को बेहतर बनाना है. मगर अपनी बदनसीबी के सोग में इस द्वंद्व से निकल ही नहीं पाए कि साहित्य और फिल्मों के साथ निजी जीवन में भी एक समय के बाद अपनी याददाश्त को झटककर ख़ुद से नया रिश्ता जोड़ना पड़ता है.

बंधुत्व के बिना स्वतंत्रता और समानता हासिल करना असंभव है

जाति एक ऐसी बाधा है जो एक समाज का निर्माण नहीं होने देती. राष्ट्र बनकर भी नहीं बन पाता क्योंकि हम एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी नहीं होते. एकजुटता या बंधुत्व के अभाव में सामाजिक संपदा का निर्माण भी नहीं हो पाता.

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